नई रिपोर्ट: भारत पेरिस जलवायु समझौते के लक्ष्यों को बड़े पैमाने पर पूरा करने की राह पर
भारत वर्ष, 2005 के स्तर से वर्ष, 2030 तक अपने उत्सर्जन को अपने सकल घरेलू उत्पाद के 33 से 35 प्रतिशत तक कम करने के अपने लक्ष्यों को पूरा कर सकता है.

बुधवार को एक अंतर्राष्ट्रीय गैर-लाभकारी पर्यावरण संगठन की नई रिपोर्ट में यह कहा गया है कि भारत अपने पेरिस जलवायु समझौते के लक्ष्यों को पूरा करने के लिए काफी हद तक सही ट्रैक पर है, और वास्तव में उससे भी अधिक प्रयास कर रहा है.
प्राकृतिक संसाधन रक्षा परिषद (NRDC) ने जलवायु परिवर्तन पर भारत के कार्यों की अपनी वार्षिक समीक्षा में यह कहा है कि, भारत वर्ष, 2005 के स्तर से वर्ष, 2030 तक अपने उत्सर्जन को अपने सकल घरेलू उत्पाद के 33 से 35 प्रतिशत तक कम करने और गैर-जीवाश्म ईंधन से स्थापित बिजली क्षमता का 40 प्रतिशत वर्ष, 2030 तक हासिल करने के अपने लक्ष्यों को पूरा कर सकता है.
अंतर्राष्ट्रीय गैर-लाभकारी पर्यावरण संगठन की नई रिपोर्ट: मुख्य विवरण
हालांकि 'द रोड फ्रॉम पेरिस: इंडियाज प्रोग्रेस टूवर्ड्स इट्स क्लाइमेट प्लेज' की समीक्षा रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि, भारत को अभी अतिरिक्त कार्बन सिंक बनाने के अपने लक्ष्य पर कुछ और काम करने की जरूरत है.
NRDC की इस रिपोर्ट में आगे यह कहा गया है कि, जैसाकि छह साल पहले पेरिस वार्ता के दौरान हुआ था, ठीक उसी तरह, अगले सप्ताह ग्लासगो में शुरू होने वाली वैश्विक जलवायु वार्ता के सफल परिणाम के लिए भारत का योगदान काफी महत्वपूर्ण है.
इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि, भविष्य में ग्रीनहाउस गैस शमन में भारत की महत्वपूर्ण भूमिका है और इसके साथ ही, भारत में बड़े पैमाने पर जलवायु अनुकूलन की जरूरत है, जिसमें लाखों लोग पहले से ही अत्यधिक गर्मी, सूखे और बाढ़ के कारण पीड़ित हैं.
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भारत में अधिकांश बुनियादी ढांचे का निर्माण अभी भी किया जा रहा है और भविष्य की ऊर्जा आपूर्ति अभी भी स्थापित की जानी है, भारत के पास शेष विकासशील दुनिया के लिए कम कार्बन विकास प्रतिमान स्थापित करने का अवसर है.
भारत द्वारा की जा रही जलवायु कार्रवाइयों के बारे में विस्तार से बताते हुए, इस रिपोर्ट ने यह उल्लेख किया है कि, भारत में अक्षय ऊर्जा स्रोतों से स्थापित क्षमता का हिस्सा अगस्त, 2021 में बढ़कर 26 प्रतिशत (387 GW में से 100 GW से अधिक) हो गया है.
अगस्त 2021 में, भारत ने सुपर क्लाइमेट-प्रदूषणकारी हाइड्रोफ्लोरोकार्बन (HFCs) को चरणबद्ध करने के लिए वैश्विक समझौते किगाली संशोधन की पुष्टि करने के लिए प्रतिबद्ध किया, जो आमतौर पर शीतलन उपकरणों और इन्सुलेट फोम में उपयोग किया जाता है.
विशेष सूचना
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 31 अक्टूबर से 12 नवंबर तक ग्लासगो में होने वाले आगामी अंतर्राष्ट्रीय जलवायु सम्मेलन COP 26 में भाग लेंगे.
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