सरकार की थिंक टैंक नीति आयोग ने 4000-5000 करोड़ रुपये के कोष के साथ मेथनॉल इकोनॉमी फंड की स्थापना करने की योजना बनाई है. इसका लक्ष्य इस निधि के माध्यम से स्वच्छ ईंधन के उत्पादन और उपयोग को बढ़ावा देना है.
नीति आयोग का उद्देश्य उच्च राख वाली कोयले को मेथनॉल में परिवर्तित करके ईंधन का उत्पादन करना है और इस तरह के एक संयंत्र को कोल इंडिया के सहयोग से स्थापित करना है.
नीति आयोग के अनुसार यह जल्द ही मेथनॉल इकोनॉमी पर एक कैबिनेट नोट की घोषणा करेगा और साथ ही यह उत्पादन संयंत्रों की भी शीघ्र स्थापना करेगा.
दिसंबर के अंत तक, नीति आयोग पेट्रोलियम और डीजल के वैकल्पिक ईंधन के रूप में मेथनॉल को बढ़ाने के लक्ष्य को हासिल करने के लिए एक रोडमैप प्रस्तावित करने की भी योजना बना रहा है.
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मेथनॉल इकोनॉमी फंड का उद्देश्य
मेथनॉल इकोनॉमी फंड का उपयोग मेथनॉल ईंधन के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए किया जाएगा, जो कि सुरक्षित, सस्ता और प्रदूषण मुक्त है
इस फंड के सहायता से कोयला और अन्य गैस संपत्तियों का उपयोग करके मेथनॉल उत्पादन संयंत्र स्थापित किए जाएंगे.
भारत में मेथनॉल का उत्पादन 16-21 रुपये प्रति लीटर किया जा सकता है
मेथनॉल के लाभ
मेथनॉल को परिवहन ईंधन, ऊर्जा उत्पादन ईंधन और खाना पकाने के ईंधन के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है.
अगले कुछ वर्षों में भारत का तेल आयात खर्च को अनुमानित 20% तक कम करने में एक बड़ी भूमिका निभा सकता है.
सीएनजी के विपरीत, एक परिवहन ईंधन के रूप में मेथनॉल का उपयोग करने के लिए वाहनों में न्यूनतम परिवर्तन की आवश्यकता होगी.
चीन मेथनॉल का विश्व का सबसे बड़ा उत्पादक है
आयोग की भविष्य योजना
आयोग, कुछ डीजल संचालित रेल इंजनों को मेथनॉल संचालित बनाने के लिए भी काम कर रहा है.
यह भी सुनिश्चित किया जा रहा है कि अंतर्देशीय जलमार्गों में इस्तेमाल होने वाले जहाजों और नावों को मेथनॉल पर भी चलाया जाए.
नीति आयोग मेथनॉल संचालित बसों का निर्माण करने के लिए टाटा और वोल्वो जैसी कुछ ऑटो कंपनियों के साथ भी बातचीत कर रही है.
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