सुप्रीम कोर्ट ने 23 अक्टूबर 2018 को पटाखों की बिक्री पर सुनवाई करते हुए साफ कर दिया है कि इस पर कोई प्रतिबंध नहीं रहेगा. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट की तरफ से कहा गया है कि कुछ शर्तें उन पर लगी रहेंगी.
जस्टिस एके सीकरी की अध्यक्षता वाली पीठ इस मामले में अपना फैसला सुनाया. सुप्रीम कोर्ट ने ऐसे पटाखों के उत्पादन और बिक्री की इजाजत दी है जिससे कम प्रदूषण होता हो.
सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान वायु प्रदूषण की वजह से बच्चों में श्वास की समस्याओं के बढ़ने को लेकर भी चिंता जताई थी. कोर्ट ने कहा था कि वे इस पर निर्णय करेगी कि क्या पटाखे फोड़ने पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया जाएगा या मुनासिब नियंत्रण स्थापित किया जाएगा.
लाइसेंस धारकों को पटाखे बेचने की इजाजत:
सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए सिर्फ लाइसेंस धारकों को पटाखे बेचने की इजाजत दी है. सुप्रीम कोर्ट ने पहले कहा था कि प्रतिबंध से जुड़ी याचिका पर विचार करते समय पटाखा उत्पादकों के आजीविका के मौलिक अधिकार और देश के 1.3 अरब लोगों के स्वास्थ्य अधिकार समेत विभिन्न पहलुओं को ध्यान में रखना होगा.
पटाखों की ऑनलाइन बिक्री पर लगी रहेगी रोक:
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ऑनलाइन पटाखों की बिक्री पर रोक लगी रहेगी. साथ ही, ई-कॉमर्स की साइट पर इसे बेचने की इजाजत नहीं होगी. इसके साथ ही, सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पटाखा बनाने वाली फैक्ट्रियों की जांच की जाएगी. कोर्ट ने कहा कि ई-कॉमर्स वेबसाइटें अगर अदालत का फैसला नहीं मानती हैं तो उन्हें अदालत की अवमानना का जिम्मेदार माना जाएगा.
पटाखा फोड़ने के लिए समय-सारिणी:
सुप्रीम कोर्ट ने पटाखा फोड़ने के लिए समयसारिणी जारी कर दी है. सुप्रीम कोर्ट के अनुसार, दिवाली पर लोग रात 8 बजे से 10 बजे तक, क्रिसमस और न्यू ईयर पर रात 11.45 बजे से 12.15 बजे तक ही पटाखे जला पाएंगे.
दिशा-निर्देश को लागू करवाने की जिम्मेदारी:
सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देश को लागू करवाने की जिम्मेदारी इलाके के थाना प्रभारी (एसएचओ) की होगी. आदेश का अमल नहीं होने पर एसएचओ की जवाबदेही होगी. कोर्ट ने अपने सुझाव में लोगों से सामूहिक रूप से पटाखें जलाने को कहा है. अगर किसी क्षेत्र में प्रतिबंधित पटाखों की बिक्री होती है तो इसके लिए संबंधित क्षेत्र के एसएचओ को जिम्मेदार ठहराया जाएगा.
पटाखे प्रदूषण बढ़ाने की एकमात्र वजह नहीं:
पटाखा बनाने वालों ने अपना पक्ष रखते हुए कहा था कि दिवाली के दौरान केवल पटाखे प्रदूषण बढ़ाने की एकमात्र वजह नहीं है. यह प्रदूषण बढ़ाने वाला एक कारक है और इस आधार पर पूरे उद्योग को बंद नहीं किया जा सकता.
पिछले साल बैन लगाया था:
वायु प्रदूषण को देखते हुए पिछले साल सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली एनसीआर में पटाखों की बिक्री पर रोक लगा दी थी. लेकिन इसके बाद कोर्ट ने कुछ अवधि के लिए सशर्त पटाखों की बिक्री को खोल दिया था क्योंकि व्यापारियों का कहना था कि उन्होंने स्टाक खरीद लिखा है उसे कहां ले जाएं.
सुप्रीम कोर्ट में याचिका:
सुप्रीम कोर्ट में वायु प्रदूषण खतरनाक स्तर पर पहुंचने के मद्देनजर एक याचिका दायर कर देशभर में पटाखों पर रोक लगाने की मांग की गई थी. पीठ ने इस मुद्दे पर याचिकाकर्ता, पटाखा निर्माता केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की दलीलों को सुनने के बाद कहा था कि पटाखों से स्वास्थ्य पर पड़ने वाले दुष्प्रभाव और इसके व्यापार के बीच एक संतुलन रखना होगा.
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