राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने 18 दिसम्बर 2017 को अपने पिछले आदेश में संशोधन करते हुए कहा कि पहाड़ी क्षेत्रों में गंगा नदी के तट के 50 मीटर के दायरे में निर्माण गतिविधियों पर पाबंदी होगी क्योंकि उसे ‘विकास निषिद्ध क्षेत्र’ के रुप में लिया जाएगा.
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मुख्य तथ्य:
• विकास निषिद्ध क्षेत्र ऐसे क्षेत्र हैं जहां वाणिज्यिक एवं आवासीय भवनों समेत कोई भी निर्माण गतिविधि नहीं हो सकती है.
• एनजीटी अध्यक्ष स्वतंत्र कुमार की अगुवाई में एक पीठ ने कहा कि पर्वतीय क्षेत्रों की स्थलाकृति को ध्यान में रखते हुए अपने आदेश पर पुनर्विचार जरुरी है.
• अपने विस्तृत फैसले में एनजीटी ने जुलाई 2017 में कहा था कि जब तक इस फैसले के आलोक में राज्य सरकार बाढ़ के मैंदान का सीमांकन करती हैं तथा मान्य एवं अमान्य गतिविधियों की पहचान करती है. तब तक के लिए हम निर्देश देते हैं कि उत्तर प्रदेश में हरिद्वार से उन्नाव तक नदी के किनारे से 100 मीटर की दूरी तक का क्षेत्र विकास निर्माण निषेध क्षेत्र माना जाएगा.
• लेकिन पीठ ने 18 दिसम्बर 2017 को कहा कि 50-100 मीटर के दायरे में आने वाला क्षेत्र नियामक क्षेत्र समझा जाएगा तथा जब तक राज्य सरकार विशेष नीति लेकर आती है, तब तक इस क्षेत्र में निर्माण गतिविधि पर रोक होगी.
एनजीटी के बारे में:
राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण अधिनियम, 2010 द्वारा भारत में एक राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (एनजीटी) की स्थापना की गई. इस अधिनियम के तहत पर्यावरण से संबंधित कानूनी अधिकारों के प्रवर्तन एवं व्यक्तियों और संपत्ति के नुकसान के लिए सहायता और क्षतिपूर्ति देने या उससे संबंधित या उससे जुड़े मामलों सहित, पर्यावरण संरक्षण एवं वनों तथा अन्य प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण से संबंधित मामलों के प्रभावी और त्वरित निपटारे के लिए राष्ट्रीय हरित अधिकरण की स्थापना की गयी.
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