जंक फ़ूड के संबंध में केंद्र सरकार द्वारा लिए गये एक अहम फैसले में कहा गया है कि कार्टून चैनलों पर अब यह विज्ञापन नहीं दिखाए जायेंगे.
इसके तहत 9 कंपनियां बच्चों के कार्टून व अन्य चैनल्स पर किसी भी तरह के जंक फूड और सॉफ्ट ड्रिंक्स के विज्ञापन नहीं दिखाएंगी. सरकार के इस फैसले का कंपनियों ने भी स्वागत किया है. नेस्ले और कोका कोला सहित नौ कंपनियों ने कहा है कि वे इसका पालन करेंगे.
भारतीय खाद्य सुरक्षा मानक प्राधिकरण (FSSI) द्वारा बनाई गई एक कमेटी के सुझावों पर यह निर्णय लिया गया है. इसके बाद एफएसएसआई ने विज्ञापनों को नियंत्रित करने वाली संस्था ASCI से एमओयू किया गया जिसके तहत बच्चों के चैनल्स पर जंक फूड और कोल्ड्रिंक के विज्ञापन नहीं देने का निर्णय लिया गया.
गौरतलब है कि देश में विज्ञापनों को नियंत्रित करने के लिए कोई कानून नहीं है जो जंक फूड के विज्ञापनों पर रोक लगा सके.
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भारत में जंक फ़ूड
पर्यावरणविद अनिल प्रकाश जोशी द्वारा लिखित एक लेख के अनुसार शोध संगठन सिंट के एक सर्वे के अनुसार 33.66 प्रतिशत भारतीयों ने स्वीकारा है कि वे सप्ताह में कम से कम दो बार जंक फूड खाते ही खाते हैं. यही कारण है कि भारत में भी यह उद्योग तेजी से आगे बढ़ रहा है और इसकी वार्षिक प्रगति दर 40 फीसदी आंकी गई है. भारत का फास्ट फूड उपभोग में 10वां स्थान है और प्रति व्यक्ति अपनी कमाई का बड़ा हिस्सा इस पर खर्च करता है. भारत में यह लगभग 8,500 करोड़ रुपये का व्यापार है. एसोचेम के अनुसार, वर्ष 2020 तक यह कारोबार 25,000 करोड़ रुपये का हो जाएगा.
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