कार्मिक मंत्रालय द्वारा 29 मार्च 2018 को जारी किये गए नए दिशा निर्देशों के अनुसार आपराधिक या भ्रष्टाचार के आरोपों का सामना कर रहे सरकारी अधिकारियों को पासपोर्ट के लिए सतर्कता विभाग से मंजूरी नहीं दी जाएगी.
इसमें कहा गया है कि संबंधित प्राधिकरण उस मामले में फैसले ले सकते हैं जिसमें ऐसे अधिकारियों को मेडिकल इमरजेंसी जैसे कारणों से विदेश जाने की जरूरत हो.
कार्मिक मंत्रालय के दिशा-निर्देशों के मुख्य बिंदु
• सिविल सेवा अधिकारियों को भारतीय पासपोर्ट हासिल करने के लिए सतर्कता विभाग से मंजूरी की जरूरत होती है.
• यदि किसी अधिकारी पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे हों और जांच लंबित हो, प्राथमिकी दर्ज की जा चुकी हो, सरकारी निकाय द्वारा मामला दर्ज हो या वह सस्पेंड हो तो पासपोर्ट सतर्कता मंजूरी को रोका जा सकता है.
• यदि किसी आपराधिक मामले में जांच एजेंसी द्वारा कोर्ट में आरोप पत्र दायर किया जा चुका हो और केस पेंडिंग हो तो भी पासपोर्ट की मंजूरी नहीं दी जा सकती.
• भ्रष्टाचार निरोधक कानून या किसी अन्य आपराधिक मामले में सक्षम प्राधिकरण द्वारा जांच की मंजूरी दी जा चुकी हो तो पासपोर्ट को मंजूरी नहीं मिलेगी.
• अनुशासनात्मक कार्रवाई में अधिकारी के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया गया हो और कार्यवाही पेंडिंग हो तो ऐसी स्थिति में भी सतर्कता विभाग से पासपोर्ट के लिए मंजूरी नहीं मिलेगी.
आपातकालीन स्थिति हेतु निर्देश
• मंत्रालय ने सभी केंद्रीय सरकारी विभागों के सचिवों को जारी आदेश में कहा कि ऐसी स्थितियां भी हो सकती हैं जिसमें सिविल सेवकों के विदेशों में रह रहे परिजन को मेडिकल इमरजेंसी हो सकती है या कोई पारिवारिक कार्यक्रम हो सकता है.
• स्वयं अधिकारी को चिकित्सा कारणों से विदेश जाने की जरूरत हो सकती है, ऐसी स्थिति में फैसले पर विचार किया जा सकता है. एक पॉलिसी के तौर पर अगर अधिकारी के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही लंबित है तो उसे पासपोर्ट जारी नहीं किया जाएगा.
तीन प्रकार के पासपोर्ट
भारत सरकार द्वारा तीन प्रकार के पासपोर्ट जारी किये जाते हैं. पहला, नीले रंग का पासपोर्ट जो आम नागरिकों के लिए बनाया जाता है तथा यह नागरिकता का प्रमाण भी है. दूसरा, सफेद रंग का पासपोर्ट बनाया जाता है जिसे सरकारी कामकाज से विदेश जाने वालों के लिए बनाया जाता है. तीसरा, लाल रंग का पासपोर्ट बनाया जाता है जिसे भारतीय डिप्लोमेट्स और वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों के लिए रखा गया है.
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