नोबेल शांति पुरस्कार 2018: डेनिस मुकवेगे तथा नादिया मुराद की नाम की घोषणा

Oct 8, 2018, 09:00 IST

गौरतलब है कि नादिया मुराद मलाला युसूफजई के बाद दूसरी सबसे कम उम्र की नोबेल पुरस्कार विजेता हैं. मलाला युसूफजई को वर्ष 2014 में 17 साल की उम्र में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था.

Nobel Peace Prize for anti rape activists Nadia Murad and Denis Mukwege
Nobel Peace Prize for anti rape activists Nadia Murad and Denis Mukwege

नोबेल पुरस्कार चयन समिति ने 05 अक्टूबर 2018 को शांति क्षेत्र में कार्य करने के लिए डेनिस मुकवेगे तथा नादिया मुराद को पुरस्कृत किये जाने की घोषणा की.

बता दें कि इन दोनों ने यौन हिंसा को युद्ध के हथियार की तरह इस्तेमाल होने के खिलाफ प्रयास में अपना बड़ा योगदान दिया है.

दूसरी सबसे कम उम्र की नोबेल पुरस्कार विजेता:

गौरतलब है कि नादिया मुराद मलाला युसूफजई के बाद दूसरी सबसे कम उम्र की नोबेल पुरस्कार विजेता हैं. मलाला युसूफजई को वर्ष 2014 में 17 साल की उम्र में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था.

शांति पुरस्कार हेतु कुल 331 लोगों का नाम:

ओस्लो में घोषित किए जाने वाले शांति पुरस्कार के लिए कुल 331 लोगों और संगठनों का नाम मुकाबले में थे. साल 2016 में 376 लोगों का नामांकन नोबेल शांति पुरस्कार के लिए किया गया था. नामांकित व्यक्तियों की दूसरी सबसे बड़ी संख्या थी. बता दें कि नोबेल समिति उम्मीदवारों की लिस्ट गुप्त रखती है, केवल विजेताओं के नाम की ही घोषणा की जाती है. अब तक 98 नोबेल शांति पुरस्कार दिए जा चुके हैं.

संयुक्त राष्ट्र में सुनाई आपबीती:

नादिया मुराद ने अपने साथ हुए अत्याचार को लेकर संयुक्त राष्ट्र संघ की सिक्योरिटी काउंसिल में बयान दिया था. उन्होंने बताया था कि आईएसआईएस के आतंकी उसके साथ शारीरिक और मानसिक अत्याचार करते थे. उसने बताया कि आतंकी उसे उठाकर इराक के मोसुल लेकर गए थे.

कौन हैं नादिया मुराद?

नादिया मुराद बसी ताहा का जन्म इराक के कोजो में 1993 में हुआ था. 25 साल की नादिया मुराद उन तीन हजार यजीदी लड़कियों में शामिल हैं, जिन्हें इस्लामिक स्टेट की कैद रहना पड़ा. आईएस के लोगों ने उन्हें हर तरह से प्रताड़ित किया. उन्होंने आईएस की कैद में तरह तरह के जुल्म झेले. जब वो किसी तरह वो वहां से बाहर आईं तो उन्होंने दुनिया को बताया कि इराक में यजीदी महिलाओं के साथ किस-किस तरह का जुल्म ढाया गया. साल 2016 में नादिया को यूरोपियन संघ का सखारोव मानवाधिकार सम्मान से भी नवाजा जा चुका है. इसी साल नादिया को यूरोप के वेकलेव हावेल मानवाधिकार सम्मान से भी नवाजा गया था.

नादिया मुराद इराक की यजीदी मानवाधिकार कार्यकर्ता हैं. नादिया मुराद अभियान की संस्थापक हैं. यह संस्था उन महिलाओं और बच्चों की मदद करती है जो नरसंहार, सामूहिक अत्याचार और मानव तस्करी के पीड़ित होते हैं. संस्था उन्हें अपनी जिंदगी दोबारा जीने और उन बुरी यादों से उबरने में मदद करती है.

डेनिस मुकवेगे कौन हैं?

डेनिस मुकवेगे अफ्रीकी देश कांगो के गायनेकॉलॉजिस्ट हैं. उन्होंने सहयोगियों के साथ मिलकर कांगो में गैंगरेप की 30 हज़ार पीड़िताओं का इलाज किया है. इन महिलाओं के साथ वहां के बागियों ने सामूहिक दुष्कर्म किया था. डेनिस को 2014 में यूरोपीय संसद का सखारोव पुरस्कार भी मिल चुका है. डेनिस मुकवेगे ने अपना पूरा जीवन युद्ध के दौरान यौन हिंसा की शिकार हुई पीड़ितों की सेवा में लगा दिया. डॉ. मुकवेगे और उनकी टीम अब तक कांगो के बुकाबू स्थित अपने अस्पताल में हजारों पीड़ितों का इलाज कर चुकी है. डॉ. मुकवेगे ने वर्ष 2008 में इस अस्पताल की स्थापना की थी. कांगो में लंबे समय तक चले गृहयुदध के दौरान साठ लाख से ज्यादा नागरिक प्रभावित हुए थे. राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बना चुके डॉ. डेनिस मुकवेगे का कहना है कि न्याय पाना सभी का हक है.

नोबेल पुरस्कार के बारे में:

•   नोबेल पुरस्कार देने की शुरुआत वर्ष 1901 में हुई थी.

•   यह पुरस्कार शांति, साहित्य, भौतिक, रसायन, चिकित्सा विज्ञान और अर्थशास्त्र के क्षेत्र में दिया जाता है. तब से अब नोबेल शांति के 98 पुरस्कार दिए जा चुके हैं. वर्ष 1901 से अब तक 19 बार ऐसा हुआ जब यह पुरस्कार नहीं दिया गया.

•   यह पुरस्कार रॉयल स्वीडिश एकेडमी ऑफ साइंस की ओर से प्रदान किया जाता है. 

•   इसमें पुरस्कार स्वरुप 7,70,000 पाउंड की राशि दी जाती है.

यह भी पढ़ें: नोबेल पुरस्कार विजेता वैज्ञानिक लियोन लीडरमैन का निधन

 

Vikash Tiwari is an content writer with 3+ years of experience in the Education industry. He is a Commerce graduate and currently writes for the Current Affairs section of jagranjosh.com. He can be reached at vikash.tiwari@jagrannewmedia.com
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