सरकारी तेल कम्पनियों द्वारा 25 अक्टूबर 2017 को यह घोषणा की गयी कि वे 20 स्टार्टअप कम्पनियों के वित्तपोषण हेतु वित्तीय सहायता प्रदान करेंगे. इन तेल कम्पनियां ने इन स्टार्टअप्स के लिए 320 करोड़ रुपये के कोष के गठन की घोषणा की.
उद्यमियों व तेल कंपनियों के बीच सहमति पत्र (एमओयू) पर हस्ताक्षर के लिए आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि सरकारी कंपनियों को इस पहल के तहत न केवल 320 करोड़ रुपये का कोष बनाना चाहिए बल्कि वित्तपोषण की वार्षिक कवायद करनी चाहिए.
केन्द्रीय पेट्रोलियम मंत्री के अनुसार, 'भारत में इस क्षेत्र में अगले 10 वर्षों में 300 अरब डॉलर के निवेश की संभावना है. देश पेट्रोलियम क्षेत्र की अपनी कुल तेल जरूरत का 80 प्रतिशत से अधिक आयात करता है और इस पर सात लाख करोड़ रुपये खर्च होते हैं. साथ ही तेल की मांग भी बढ़ रही है.' मंत्रालय के अनुसार 2035 तक ऊर्जा की खपत में 128 प्रतिशत वृद्धि की संभावना है.
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पेट्रोलियम मंत्रालय के अनुसार तेल एवं गैस उद्योग में सौर ऊर्जा, हाइड्रोजन, ऊर्जा के वैकल्पिक स्रोत, इलेक्ट्रिक वाहन जैसे क्षेत्रों में काफी संभावनाएं हैं.
अपने संबोधन में नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत ने कहा कि भारत में बहुत सारे स्टार्टअप आ रहे हैं. राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन सरकार ने जनवरी 2016 में स्टार्टअप नीति पेश की थी. औद्योगिक नीति एवं संवर्धन विभाग के सचिव रमेश अभिषेक ने कहा कि पिछले साल विभिन्न माध्यमों से स्टार्टअप को 15,800 करोड़ रुपये का वित्तपोषण किया गया है.
सरकारी प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार प्रतिदिन चार नए स्टार्टअप बन रहे हैं. लगभग 4,400 टेक्नोलॉजी स्टार्टअप भारत में हैं और इनकी संख्या 2020 तक बढ़कर 12,000 से अधिक होने की संभावना है. स्टार्टअप की संख्या के अनुसार अमेरिका और ब्रिटेन के बाद भारत का तीसरा स्थान है. दस सरकारी कंपनियों में इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन भी शामिल है, जिसने 30 में से सबसे अधिक 14 समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किये हैं. इसके अतिरिक्त गेल इंडिया ने इस अवसर पर स्टार्टअप नीति पेश की.
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