कार्यस्थल पर महिलाओं का शोषण रोकने हेतु केवल 29% जिलों में ही स्थानीय समिति: शोध

Aug 8, 2019, 11:23 IST

भारत के 655 जिलों पर किये गये इस शोध में विभिन्न जानकारियां सामने आई हैं. इनमें से केवल 29% जिलों में स्थानीय समिति है.

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भारत में कार्यस्थलों पर महिलाओं के साथ होने वाले दुर्व्यवहार से बचने हेतु स्थानीय समिति का प्रावधान है लेकिन स्थानीय स्तर पर अधिकतर प्रशासनिक अधिकारी भी इससे अनभिज्ञ हैं. हाल ही में मार्था फेरेल फाउंडेशन और प्रिया फाउंडेशन द्वारा किये गये एक शोध में प्राप्त जानकारी में पाया गया कि देश के 655 जिलों में से केवल 29% ही ऐसे हैं जिन्होंने स्थानीय समितियां बनाई हैं.

प्रमुख बिंदु
• भारत के 655 जिलों पर किये गये इस शोध में विभिन्न जानकारियां सामने आई हैं. इनमें से केवल 29% जिलों में स्थानीय समिति है.
• इनमें 15% राज्यों ने अभी तक ऐसी समिति नहीं बनाई. जबकि, 56% राज्यों ने इस संबंध में कोई भी प्रतिउत्तर नहीं दिया जिसका मुख्य कारण राज्य सरकारों एवं प्रशासन को इसकी पूरी जानकारी न होना भी हो सकता है.
• बिहार सरकार ने दावा किया है कि वे राज्य के 38 जिलों में महिलाओं की सहायता हेतु स्थानीय समितियां बना रहे हैं.
• कार्यस्थल पर महिलाओं का यौन उत्पीड़न (रोकथाम, निषेध और निवारण) अधिनियम, 2013 के तहत यह प्रावधान है कि महिलाओं को सुरक्षित माहौल देने के लिए इस प्रकार की समितियां बनाई जाएँ.

असंगठित क्षेत्र की समस्या

मार्था फेरेल फाउंडेशन और प्रिया फाउंडेशन किये गये शोध के मुताबिक असंगठित क्षेत्र में काम करने वाली महिलाओं को सबसे अधिक दिक्कत का सामना करना पड़ता है. चूंकि, कॉरपोरेट जगत में कार्यरत महिलाएं पढ़ी-लिखी होती हैं उन्हें आसानी से जागरुक किया जा सकता है और वे स्थानीय समितियों तक पहुंच सकती हैं. लेकिन घरों में काम करने वाली महिलाओं को जागरुक करना एवं उनके साथ होने वाले दुर्व्यवहार के बारे में पता लगाना अपने आप में एक चुनौती है. घरों में काम करने वाली महिलाएं एक निजी क्षेत्र में कार्यरत होती हैं, उन तक पहुंचना और उन्हें स्थानीय समितियों के बारे में जानकारी देना एक चुनौतीपूर्ण काम है.

क्या हैं दिशा-निर्देश?
• केंद्र सरकार द्वारा जारी नए दिशा-निर्देशों के अनुसार कार्यस्थल पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न अधिनियम के कार्यान्वयन के बारे में संक्षिप्त विवरण में प्राप्त होने वाले और निपटाए जाने वाले मामलों की संख्या भी शामिल की जाएगी.
• इसको सभी मंत्रालय/ विभाग और प्राधिकारी वार्षिक रिपोर्ट का हिस्सा बनाएँगे.
• महिलाओं के यौन उत्पीड़न (रोकथाम, निषेध और निवारण) अधिनियम, 2013 में संशोधित नए दिशा -निर्देश के तहत शिकायतों का निस्तारण 30 दिन की अवधि में और विशेष परिस्थितियों में शिकायत मिलने की तारीख से 90 दिनों की अवधि में पूरा किय जाना चाहिए.
• मंत्रालय/ विभाग और सम्बंधित कार्यालय को शिकायतकर्ता के बारे में यह भी निगरानी रखनी चाहिए कि शिकायतकर्ता को शिकायत करने के बाद किसी भी तरीके से प्रताड़ित न किया जा सके.
• यदि पीड़ित महिला ऐसा महसूस करती है कि उसकी शिकायत के कारण उसे प्रताड़ित किया जा रहा है तो शिकायतकर्ता के पास अपना प्रतिवेदन सचिव या संगठन प्रमुख को भेजने का विकल्प भी है.
• संबंधित अधिकारी को इस तरह की शिकायत प्राप्त होने के 15 दिनों के भीतर उसका निस्तारण करना आवश्यक है.

Gorky Bakshi is a content writer with 9 years of experience in education in digital and print media. He is a post-graduate in Mass Communication
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