उत्तराखंड सरकार ने हाल ही में उत्तराखंड के गांवों से शहरों की ओर पलायन करके जा रहे लोगों के संदर्भ में एक रिपोर्ट जारी की है. इस सरकारी रिपोर्ट के अनुसार पिछले दस साल से हर दिन औसतन 33 लोग गांवों से शहरों की ओर जा रहे हैं.
उत्तराखंड में पलायन की समस्या दिन प्रतिदिन विकराल रूप धारण कर रही है, जिसके परिणामस्वरूप उत्तराखंड के गांव खाली होते जा रहे हैं. यह रिपोर्ट उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत द्वारा जारी की गई.
उत्तराखंड पलायन (Uttarakhand Migration) रिपोर्ट के मुख्य बिंदु
• रिपोर्ट के अनुसार राज्य के 3,946 गांवों से लगभग 1,18,981 लोगों ने स्थाई रूप से पलायन कर लिया है. यहां लगभग आधे घर खंडहर बन चुके हैं.
• लगभग 6338 गांवों से 3,83,726 लोग अस्थाई रूप से काम-धंधे और पढ़ाई-लिखाई के लिए राज्य छोड़ कर गये हैं.
• सबसे अधिक पलायन पौड़ी, टिहरी और उत्तरकाशी जिलों में दर्ज किया गया है.
• रिपोर्ट के अनुसार 50% लोगों ने रोजगार, 15% ने शिक्षा के लिए और 8% ने चिकित्सा के लिए पलायन किया है.
• राज्य के 734 गांव पूरी तरह खाली हो चुके हैं और यहां कोई नहीं रहता.
• पलायन करने वालों में 70% लोग गांवों से गए तो वहीं 29% ने शहरी इलाकों से पलायन किया है.
• पलायन के कारण राज्य के 565 गांवों में वर्ष 2011 के बाद 50% आबादी घटी है, जिनमें अंतर्राष्ट्रीय सीमा से सटे छह गांव भी शामिल हैं.
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उत्तराखंड से पलायन के कारण
• रिपोर्ट के अनुसार उत्तराखंड के 13 जिलों में 5,31,174 पुरुष और 3,38,588 महिला बेरोजगार रजिस्टर्ड हैं.
• इनमें स्नातक पुरुष बेरोजगारों की संख्या 1,08,248 और महिला स्नातक बेरोजगारों की संख्या 1,11,521 हैं.
• उत्तराखंड छोड़ कर जाने वालों में 42% लोगों की आयु 26 और 35 वर्ष के बीच है जिन्होंने रोजगार और शिक्षा के लिए राज्य छोड़ा.
• इसके अतिरिक्त 25 वर्ष से कम आयु के 28 प्रतिशत लोग पढ़ाई एवं परिवार के साथ राज्य छोड़कर गए हैं. कुल मिलाकर उत्तराखंड के 70 प्रतिशत युवा राज्य से चले गए.
गावों से कहां हो रहा है पलायन
19.46 प्रतिशत | नजदीकी कस्बों में |
15.18 प्रतिशत | अपने जनपद में |
35.69 प्रतिशत | राज्य के अन्य जनपदों में |
28.72 प्रतिशत | उत्तराखंड से बाहर |
0.96 प्रतिशत | देश से बाहर |
उत्तराखंड पलायन आयोग
राज्य सरकार ने 17 सितंबर 2017 को पलायन आयोग गठित किया था जिसका मुख्य कार्य राज्य से हो रहे पलायन संबंधी आंकड़े एकत्रित करना था. इस आयोग ने 13 जिलों की 7950 ग्राम पंचायतों में सर्वे कराया था. इसके बाद पलायन पर रिपोर्ट तैयार हुई है. यह आयोग मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की अध्यक्षता में कार्य कर रहा है जबकि एसएस नेगी इसके उपाध्यक्ष हैं. रिपोर्ट जारी करने के साथ ही स्थानीय लोगों से भी पलायन रोकने के उपाय एवं सुझाव भी मांगे जा रहे हैं. उत्तराखंड सरकार का मानना है कि इस रिपोर्ट के पश्चात् राज्य से पलायन रोकने के लिय उचित कदम उठाये जा सकेंगे. |
उत्तराखंड पलायन आयोग
राज्य सरकार ने 17 सितंबर 2017 को पलायन आयोग गठित किया था जिसका मुख्य कार्य राज्य से हो रहे पलायन संबंधी आंकड़े एकत्रित करना था. इस आयोग ने 13 जिलों की 7950 ग्राम पंचायतों में सर्वे कराया था. इसके बाद पलायन पर रिपोर्ट तैयार हुई है.
यह आयोग मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की अध्यक्षता में कार्य कर रहा है जबकि एसएस नेगी इसके उपाध्यक्ष हैं. रिपोर्ट जारी करने के साथ ही स्थानीय लोगों से भी पलायन रोकने के उपाय एवं सुझाव भी मांगे जा रहे हैं. उत्तराखंड सरकार का मानना है कि इस रिपोर्ट के पश्चात् राज्य से पलायन रोकने के लिय उचित कदम उठाये जा सकेंगे. |
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