पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने अपने पद से त्यागपत्र दे दिया है. साथ ही पाकिस्तान केंद्रीय मंत्रिमंडल को भी बर्खास्त कर दिया गया है. पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने पनामा केस में न्यायलय का फैसला आने के बाद पद से इस्तीफा दिया.
पाकिस्तान सुप्रीम कोर्ट ने पनामा केस में प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को दोषी ठहराया. पांच जजों की बेंच ने यह फैसला सुनाया. न्यायलय के अनुसार नवाज शरीफ के खिलाफ इस मामले में मुकदमा चलाया जाना चाहिए और उनको प्रधानमंत्री पद के अयोग्य ठहरा दिया
पनामा केस के बारे में-
पनामा केस में नवाज शरीफ सहित उनके परिजनों पर काला धन छुपाने, भ्रष्टाचार और मनी लांड्रिंग के आरोप थे. इन मामलों में उनको और परिजनों को दोषी पाया गया है.
इससे पहले 21 जुलाई 2017 को पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने पनामा पेपर्स मामले में फैसला सुरक्षित रख लिया. जस्टिस एजाज अफजल की अध्यक्षता में पांच न्यायाधीशों की पीठ ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था.
न्यायलय में 21 जुलाई 2017 को सुनवाई के दौरान जस्टिस सईद ने कहा कि अदालत अपना फैसला सुनाते हुए किसी कानून से विचलित नहीं होगी. ''हम याचिकाकर्ताओं और प्रतिवादियों के मौलिक अधिकारों के प्रति सचेत हैं.''
सुप्रीम कोर्ट ने दस खंडों वाली रिपोर्ट का अंतिम हिस्सा भी खोला जिसे संयुक्त जांच दल (जेआईटी) ने दाखिल की थी. उच्चतम न्यायालय ने शरीफ और उनके परिवार पर लगे धनशोधन के आरोपों की जांच के लिए जेआईटी गठित की थी.
जेआईटी-
जेआईटी के अनुसार रिपोर्ट का दसवां खंड गोपनीय रखा जाए क्योंकि इसमें दूसरे देशों के साथ पत्राचार का ब्यौरा है. शरीफ के वकीलों की टीम ने इस पर आपतिव्यक्त की. अदालत ने अधिकारियों को आदेश दिया कि खंड की एक प्रति शरीफ के वकील ख्वाजा हारिस को सौंपी जाए.
इमरान खान ने याचिका दायर की -
शरीफ के खिलाफ याचिकाकर्ताओं में पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ के प्रमुख इमरान खान भी शामिल थे. कोर्ट ने 21 जुलाई 2017 को फैसला सुरक्षित रख लिया.
इमरान खान के आरोप
बचाव पक्ष की दलीलों का जवाब देने के अपने अधिकार का इस्तेमाल करते हुए याचिकाकर्ताओं ने अपनी संक्षिप्त टिप्पणी में अदालत से आग्रह किया कि कथित रूप से संपत्ति छिपाने और अपने बच्चों के कारोबार स्थापित करने में इस्तेमाल हुए आय के स्रोत उजागर नहीं करने पर शरीफ को अयोग्य करार दिया जाए.
धनशोधन के आरोप-
न्यूज़ एजेंसी के अनुसार याचिकाकर्ताओं के वकील ने न्यायलय में दलील दी कि ''धनशोधन के आरोपों का संतोषजनक जवाब देने में प्रधानमंत्री नाकाम रहे हैं और उन्हें अयोग्य करार देना चाहिए.

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