प्रधानमंत्री मोदी ने 15 अगस्त 2021 को लाल किले की प्राचीर से नेशनल हाइड्रोजन मिशन की घोषणा की है. इसके जरिए भारत को ग्रीन हाइड्रोजन में भारत को ग्लोबल हब बनाने का टारगेट रखा गया है. प्रधानमंत्री मोदी इसकी बात पहले भी कर चुके हैं और कहा है कि फ्यूचर फ्यूल ग्रीन एनर्जी ही है, जिससे भारत को आत्मनिर्भर होने में मदद मिलेगी.
बजट 2021 में भी राष्ट्रीय हाइड्रोजन मिशन का जिक्र किया गया था. हाइड्रोजन फ्यूल के इस्तेमाल से डीजल-पेट्रोल का इस्तेमाल घटेगा और इससे कच्चे तेल के आयात पर निर्भरता भी घटेगी. इसका एक बड़ा फायदा ये भी होगा कि प्रदूषण पर लगाम लगाने में मदद मिलेगी. मोदी ने कहा कि ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिये हर साल 12 लाख करोड़ रुपये से अधिक खर्च देश को करना पड़ता है.
प्रधानमंत्री मोदी ने क्या कहा?
प्रधानमंत्री मोदी ने लाल किले की प्राचीर से 75वें स्वतंत्रता दिवस पर राष्ट्र को संबोधित करते हुए कहा कि देश की प्रगति और आत्मनिर्भर भारत बनाने के लिए ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर होना अनिवार्य है. उन्होंने कहा कि भारत गैस आधारित अर्थव्यवस्था, गन्ने से प्राप्त एथेनॉल को पेट्रोल में मिलाकर तथा बिजली से चलने वाली रेल, वाहनों के जरिये ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बन सकता है.
हाइड्रोजन गैस बनाने के लिए दो तरह की तकनीक
हाइड्रोजन गैस को कंप्रेस्ड नेचुरल गैस में भी मिलाकर इस्तेमाल किया जा सकेगा. भारत में अभी हाइड्रोजन गैस बनाने के लिए दो तरह की तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है. पहली तकनीक के तहत पानी का इलेक्ट्रोलिसिस किया जाता है और हाइड्रोजन को अलग किया जाता है.
वहीं दूसरा तरीका है प्राकृतिक गैस को हाइड्रोजन और कार्बन में तोड़ना. इससे दो फायदे होते हैं. इससे मिले हाइड्रोजन का इस्तेमाल फ्यूल की तरह किया जाता है और कार्बन का इस्तेमाल स्पेस, एयरोस्पेस, ऑटो, पानी के जहाज और इलेक्ट्रॉनिक आइटम बनाने में होता है.
हाइड्रोजन गैस रेलवे में भी इस्तेमाल होगी
भारतीय रेलवे ने नेशनल हाइड्रोजन एनर्जी मिशन के तहत एक अहम कदम उठाते हुए हाइड्रोजन फ्यूल सेल का इस्तेमाल शुरू किया है. यह ग्रीन एनर्जी को यूटिलाइज करने का सबसे अच्छा तरीका है, जिससे कार्बन डाई ऑक्साइड का उत्पादन जीरो होता है. बहुत ही कम ऐसे देश हैं, जो पावर जनरेशन के इस तरीके का इस्तेमाल कर रहे हैं और अब भारत भी इनमें शामिल हो जाएगा.
हाइड्रोजन फ्यूल ग्रीन एनर्जी में सबसे अच्छी
हाइड्रोजन फ्यूल ग्रीन एनर्जी में सबसे अच्छी है, क्योंकि इसे पानी को सोलर एनर्जी से विद्युत अपघटन कर के पैदा किया जा सकता है. अगर ये पालयट प्रोजेक्ट सफल रहता है तो डीजल से चलने वाले सभी इंजनों को हाइड्रोजन फ्यूल तकनीक वाले इंजन में बदल दिया जाएगा.
पृष्ठभूमि
उल्लेखनीय है कि राष्ट्रीय हाइड्रोजन मिशन की घोषणा सबसे पहले इस साल फरवरी में पेश 2021-22 के बजट में की गयी थी. वर्तमान में देश में जो भी हाइड्रोजन की खपत होती है वह जीवाश्म ईंधन से आती है. वर्ष 2050 तक कुल हाइड्रोजन का तीन चौथाई हरित यानी पर्यावरण अनुकूल किये जाने का कार्यक्रम है. इसे नवीकरणीय बिजली और इलेक्ट्रोलायसिस से तैयार किया जायेगा.
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