“मैं लोकतंत्र की जननी कहे जाने वाले देश का प्रतिनिधित्व करता हूं”, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 25 सितंबर, 2021 को UNGA के 76वें सत्र में दुनिया के लिए एक शक्तिशाली और ऐतिहासिक संदेश में यह कहा. प्रधानमंत्री ने अपने भाषण के दौरान भारत में लोकतंत्र की स्थाई और मजबूत परंपरा को रेखांकित किया जिसने देश की विविधता से ताकत हासिल की है.
UNGA में PM मोदी का भाषण: मुख्य बातें पढ़ें यहां
प्रधानमंत्री ने अपने UNGA भाषण में यह कहा कि, "विस्तार और बहिष्कार" की दौड़ से दूर रहने की जरूरत है. उन्होंने यह भी कहा कि, उनकी सरकार की प्राथमिकता यह है कि विकास सर्व-समावेशी, सार्वभौमिक और सभी का पोषण करने वाला हो.
उन्होंने अपनी सरकार की कुछ प्रमुख योजनाओं जैसे आयुष्मान भारत, PM आवास योजना और PM जन धन योजना पर प्रकाश डाला और इसके साथ ही उन्होंने 'अंत्योदय' के सिद्धांत पर भी जोर दिया.
PM मोदी ने लोगों के दैनिक जीवन में प्रौद्योगिकी की परिवर्तनकारी भूमिका पर प्रकाश डाला और विविधतापूर्ण, लचीली और विस्तारित वैश्विक मूल्य श्रृंखलाओं पर जोर दिया.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने UNGA भाषण के दौरान चाणक्य, दीन दयाल उपाध्याय और नोबेल पुरस्कार विजेता रवींद्रनाथ टैगोर का भी जिक्र किया.
प्रधानमंत्री ने वैश्विक व्यवस्था, वैश्विक कानूनों और वैश्विक मूल्यों की रक्षा के लिए संयुक्त राष्ट्र को मजबूत करने की आवश्यकता पर जोर दिया और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से नियम-आधारित विश्व व्यवस्था को मजबूत करने का आह्वान किया.
अफगानिस्तान पर
प्रधानमंत्री मोदी ने अफगानिस्तान की स्थिति पर बोलते हुए यह कहा कि, यह सुनिश्चित करना नितांत आवश्यक है कि, अफगानिस्तान क्षेत्र का उपयोग आतंकवाद फैलाने और आतंकी गतिविधियों के लिए नहीं किया जाए.
उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि, दुनिया को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि अफगानिस्तान की धरती का इस्तेमाल आतंकवाद और आतंकवादी हमलों को फैलाने के लिए नहीं किया जा रहा है.
वैक्सीन पर
PM मोदी ने जोर देकर कहा कि, भारत का विश्वास “लोगों की सेवा करना" ने वैश्विक वैक्सीन निर्माताओं को भारत में आने और वैक्सीन बनाने के लिए आमंत्रित किया है. भारत वैक्सीन विकास और निर्माण की दिशा में आक्रामक तरीके से काम कर रहा है.
लोकतंत्र की जननी भारत
प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि, भारत को लोकतंत्र की जननी के रूप में जाना जाता है, और फिर आगे यह भी कहा कि, "हमारी विविधता हमारे मजबूत लोकतंत्र की पहचान है".
उन्होंने आगे यह कहा कि, जैसे ही भारत इस वर्ष अपनी स्वतंत्रता के 75 वें वर्ष में प्रवेश कर रहा है, "हमारी विविधता हमारे मजबूत लोकतंत्र की पहचान है. उन्होंने आगे यह कहा कि, COVID-19 ने दुनिया को यह सिखाया है कि, वैश्विक अर्थव्यवस्था को अब और अधिक विविध होना चाहिए और आगे कहा कि, इस संबंध में वैश्विक मूल्य श्रृंखला का विस्तार महत्वपूर्ण है.
महासागरों की साझी विरासत
PM मोदी ने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि महासागर हम सब की एक "साझी विरासत" हैं और ये महासागर अंतर्राष्ट्रीय व्यापार की जीवन रेखा भी हैं और उन्हें विस्तार और बहिष्कार की दौड़ से हमें बचाना होगा.
प्रधानमंत्री ने नोबेल पुरस्कार विजेता, रवींद्रनाथ टैगोर को उद्धृत करते हुए अपने भाषण का समापन किया, "अपने शुभ कर्म के पथ पर निडर होकर आगे बढ़ते रहें. सभी कमजोरियां और संदेह समाप्त हों". उन्होंने आगे यह कहा कि, यह संदेश आज के संदर्भ में संयुक्त राष्ट्र के लिए प्रासंगिक है क्योंकि यह प्रत्येक जिम्मेदार देश के लिए प्रासंगिक है.
पृष्ठभूमि
प्रधानमंत्री मोदी 24 सितंबर, 2021 को अपनी अमेरिकी यात्रा के अंतिम चरण के लिए न्यूयॉर्क पहुंचे थे. वे इस देश की तीन दिवसीय यात्रा के लिए 22 सितंबर को वाशिंगटन पहुंचे थे, जिसकी शुरुआत पांच वैश्विक CEOs और अमेरिकी उपराष्ट्रपति कमला हैरिस के साथ उनकी बातचीत से हुई थी. उन्होंने अमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडेन के साथ अपनी पहली द्विपक्षीय बैठक भी की और पहले इन-पर्सन क्वाड शिखर सम्मेलन में भाग लिया.
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