प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 24 अक्टूबर 2018 को 'मैं नहीं हम' पोर्टल और ऐप लांच किया. ये पोर्टल 'सेल्फ फॉर सोसायटी' की थीम पर काम करेगा. इससे आईटी पेशेवरों और संगठनों को सामाजिक सरोकार की दिशा में काम करने के लिए एक मंच मिलेगा. इसके माध्यम से समाज के कमजोर तबके को प्रौद्योगिकी का उपयोग करने में मदद मिलने की उम्मीद की जा रही है.
कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री मोदी कई उद्योगपतियों से मिले और आईटी पेशेवरों तथा आईटी और इलेक्ट्रॉनिक उपकरण बनाने वाली कंपनियों के कर्मचारियों को संबोधित किया. इस अवसर पर देश भर के 100 से ज्यादा स्थानों से आईटी और इलेक्ट्रॉनिक विनिर्माता वीडियो कांफ्रेंस के जरिए आयोजन से जुड़े.
उद्देश्य:
इसका उद्देश्य आईटी क्षेत्र में दिन-प्रतिदिन होने वाले लाभ का फायदा समाज के कमजोर तबकों को पहुंचाना है, यही नहीं पोर्टल के जरिए समाज की बेहतरी के लिए काम करने के इच्छुक लोगों की व्यापक सहभागिता को भी बढ़ावा दिया जा सकेगा.
'मैं नहीं हम' नाम क्यों?
यह पोर्टल पर आईटी क्षेत्र से जुड़े कारोबारियों, सामाजिक संगठनों और समाज सेवा से जुड़े लोगों को एक साथ लाने का काम करेगा और इसलिए इसका नाम 'मैं नहीं हम' रखा गया है.
डिजिटल भारत का हिस्सा:
मोदी सरकार का ये कदम उनके डिजिटल भारत का ही हिस्सा है, जिसके जरिए वो आम लोगों को आईटी के जरिए एक साथ मंच पर लाना चाहती है. इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि बिना कागज के इस्तेमाल के सरकारी सेवाएं इलेक्ट्रॉनिक रूप से जनता तक पहुंच सकें. इस योजना का एक उद्देश्य ग्रामीण इलाकों को हाई स्पीड इंटरनेट के माध्यम से जोड़ना भी है.
'मैं नहीं, हम' नारे का इस्तेमाल:
बता दें कि 2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने 'मैं नहीं, हम' नारे का इस्तेमाल किया था. कांग्रेस से पहले इस नारे का इस्तेमाल बीजेपी ने वर्ष 2011 में किया था. 'मैं नहीं, हम' का नारा नरेन्द्र मोदी ने फरवरी 2011 में ही दिया था. मोदी का यह कैंपेन गुजरात सरकार के कामों से जुड़ा हुआ था.
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