प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 11 सितंबर 2019 को उत्तर प्रदेश के मथुरा में 'राष्ट्रीय पशु रोग नियंत्रण' कार्यक्रम का शुभारंभ किया. इस कदम का मुख्य उद्देश्य किसानों को सशक्त बनाना तथा उनकी आय को दोगुना करना है, जैसा कि केंद्रीय बजट के तहत वादा किया गया था.
केन्द्र सरकार द्वारा शत-प्रतिशत वित्त पोषण के 12,652 करोड़ रुपये की लागत वाले इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य 500 मिलियन से अधिक पशुधन का टीकाकरण है. इसके अंतर्गत गाय, भैंस, भेड़, बकरी और सूअर को मुखपका-खुरपका रोग से बचाना है.
राष्ट्रीय पशु रोग नियंत्रण कार्यक्रम
राष्ट्रीय पशु रोग नियंत्रण कार्यक्रम का उद्देश्य पशुजन्य माल्टा-ज्वर से बचाव हेतु प्रत्येक साल दुधारू पशुओं के 36 मिलियन मादा बच्चों को टीका लगाना है.
कार्यक्रम के दो मुख्य उद्देश्य हैं-
2025 तक रोगों पर नियंत्रण करना
2030 तक रोगों का उन्मूलन करना
केंद्र सरकार द्वारा कार्यक्रम से 100 प्रतिशत धन प्राप्त होगा. केंद्र सरकार द्वारा इस कार्यक्रम के लिए साल 2019 से साल 2024 के लिए 12,652 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं. इस योजना से करोड़ों किसानों को फायदा होगा तथा साथ ही मवेशियों की सेहत में सुधार भी होगा.
पशुओं में गंभीर बीमारी
खुरपका-मुंहपका पशुओं में एक गंभीर बीमारी होती है. खुरपका-मुंहपका एक संक्रामक रोग है. यह रोग विषाणु द्वारा फैलता है. यह बीमारी गाय, भैंस, भेड़, बकरी, सूअर इत्यादि को प्रभावित करती है. यदि गाय या भैंस इस बीमारी से पीड़ित होती हैं तो दूध-उत्पादन कम हो जाता है.
पृष्ठभूमि
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी इस दिन राष्ट्रीय कृत्रिम गर्भाधान कार्यक्रम का भी शुभारंभ किया. यह देश के सभी 687 जिलों में कृषि विज्ञान केन्द्रों पर राष्ट्रव्यापी कार्यशालाओं की भी शुरूआत की जाएगी. कार्यशालाओं में जिन विषयों पर चर्चा की जाएगी उनमें उत्पादकता, टीकाकरण, रोग प्रबंधन तथा कृत्रिम गर्भाधान शामिल हैं.
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