राष्ट्रपति ने राम नाथ कोविंद ने दिल्ली विधानसभा द्वारा पारित न्यूनतम वेतन में संशोधन कानून को मंजूरी दे दी है. विधानसभा से पारित न्यूनतम वेतन (दिल्ली) संशोधन विधेयक को राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद अब दिल्ली में दिल्ली में तय न्यूनतम मजदूरी नहीं देने वालों बिजनेसमैन पर कानून कार्रवाई करेगा.
दिल्ली विधानसभा द्वारा यह विधेयक 10 अगस्त 2017 को पारित किया गया था. इस बिल को पहली बार वर्ष 2015 में पेश किया गया था.
विधेयक के प्रावधान:
सरकार द्वारा जारी अधिसूचना के मुताबिक न्यूनतम वेतन कानून के उल्लंघन पर अब नियोक्ता को 20 हजार रुपये से 50 हजार रूपये तक का जुर्माना और तीन साल की सजा का प्रावधान किया गया है.
इसके तहत अकुशल, अर्धकुशल और कुशल मजदूरों को निर्धारित वेतन से कम वेतन देने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने का प्रस्ताव किया गया था.
बिल की समयसीमा |
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न्यूनतम वेतन में वृद्धि:
नए कानून के लागू होने के साथ ही दिल्ली में अलग-अलग योग्यता और दक्षता के हिसाब से न्यूनतम वेतन तय हो गया है.
दिल्ली में अब नए कानून के लागू होने के साथ ही न्यूनतम वेतन 13,896 रुपये है. राजधानी में अकुशल मजदूरों के लिए 13,896, अर्ध कुशल के लिए 15,296, कुशल के लिए 16,858 रुपये मासिक वेतन निर्धारित किया गया है.
इसके अलावा दसवीं फेल के लिए 15,296, दसवीं पास के लिए 16,858 और ग्रेजुएट एवं ज्यादा शिक्षित के लिए 18,332 रुपये प्रति माह न्यूनतम वेतन है. दिल्ली कैबिनेट ने 25 फरवरी 2017 को यह दरें लागू की थीं.
पृष्ठभूमि:
मजदूरों को न्यूनतम वेतन दिए बिना उन्हें रोजगार एक आपराधिक अपराध का गठन होता है जिसके लिए न्यूनतम वेतन अधिनियम, 1948 के तहत दंडात्मक प्रतिबंध प्रदान किए गए हैं. दिल्ली सरकार ऐसे लोगों पर कानून के तहत सख्त कार्रवाई करेगी.
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