राजस्थान में अब अनपढ़ भी बन सकेंगे सरपंच और पार्षद, विधेयक पारित

Feb 13, 2019, 09:51 IST

पूर्व में सरपंच का चुनाव लड़ने के लिये सामान्य श्रेणी के उम्मीदवार को आठवीं कक्षा उत्तीर्ण होना चाहिये था. अब अनपढ़ भी सरपंच से लेकर मेयर तक का चुनाव लड़ सकेंगे.

Rajasthan Assembly passes Bills to scrap minimum education criterion
Rajasthan Assembly passes Bills to scrap minimum education criterion

राजस्थान विधानसभा में हाल ही में पंचायतीराज संशोधन विधेयक और नगरपालिका संशोधन विधेयक पारित कर दिए गए. इन संशोधन विधेयकों के अनुसार अब पंचायतीराज और स्थानीय निकायों के चुनाव लड़ने के लिए शैक्षणिक योग्यता की अनिवार्यता खत्म कर दी गई है.

अब इन चुनावों को लड़ने के लिए पढ़ा-लिखा होना जरूरी नहीं है, अब अनपढ़ भी सरपंच से लेकर प्रधान प्रमुख और पार्षद से लेकर मेयर तक का चुनाव लड़ सकेंगे. गौरतलब है कि वर्तमान राजस्थान सरकार ने सत्ता में आते ही न्यूनतम शिक्षा मानदंड को खत्म करने की घोषणा की थी.

पारित किये गये विधेयक हैं:

1.    राजस्थान पंचायती राज (संशोधन) विधेयक, 2019

2.    राजस्थान नगर पालिका (संशोधन) विधेयक, 2019

पिछले शैक्षिणक मानदंड क्या थे?

•    ज़िला परिषद या पंचायत चुनाव में भाग लेने वाले उम्मीदवार की न्यूनतम शैक्षिक योग्यता माध्यमिक स्तर अर्थात् दसवीं कक्षा उत्तीर्ण होनी चाहिये.

•    सरपंच का चुनाव लड़ने के लिये सामान्य श्रेणी के उम्मीदवार को आठवीं कक्षा उत्तीर्ण होना चाहिये.

•    जबकि सरपंच का चुनाव लड़ने के लिये अनुसूचित जाति अथवा जनजाति श्रेणी के उम्मीदवार को पाँचवीं कक्षा उत्तीर्ण होना चाहिये.

•    राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति द्वारा सम्मानित किये जा चुके सरपंच भी अधिनियम के पिछले प्रावधानों की वज़ह से चुनाव में अयोग्य घोषित हो गए थे.

•    विदित हो कि राजस्थान में पंचायत समिति, जिला परिषद व नगरपालिका का चुनाव लड़ने के लिए न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता की बाध्यता 2015 में वसुंधरा राजे सरकार ने लागू की थी.

संशोधन विधेयक के पक्ष में सरकार का तर्क

पंचायती राज से जुड़े विधेयक पर बहस का जवाब देते हुए ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री सचिन पायलट ने कहा कि पंचायती राज अधिनियम में पूर्व में किए गए प्रावधान ऐसे थे, जिनसे राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति द्वारा सम्मानित किए गए सरपंच भी चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य घोषित हो गये थे. शिक्षा के आधार पर समाज को दो श्रेणियों में नहीं बांटा जा सकता, इसलिए अधिनियम का प्रावधान संविधान की मूल भावना के विपरीत है. किसी अच्छे राजनेता की परिभाषा अत्यधिक व्यक्तिपरक होती है और किसी व्यक्ति से अपेक्षित गुण भी बहुत अस्पष्ट होते हैं.


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Gorky Bakshi is a content writer with 9 years of experience in education in digital and print media. He is a post-graduate in Mass Communication
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