दुर्लभ रोग नीति मसौदा: सरकार द्वारा 15 लाख रुपये तक के इलाज का प्रस्ताव

Jan 15, 2020, 14:18 IST

इस मसौदा के तहत लाभार्थी गरीबी रेखा से नीचे के परिवारों तक सीमित नहीं रहेंगे बल्कि आयुष्मान भारत-प्रधानमंत्री जन समृद्धि योजना के प्रावधानों के मुताबिक 40 फीसदी आबादी भी इसके पात्र होंगे.

Rare Disease Policy Draft
Rare Disease Policy Draft

स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने दुर्लभ बीमारियों पर 13 जनवरी 2020 को एक नीति मसौदा जारी किया है. इस नीति मसौदे के मुताबिक सरकार दुर्लभ बीमारियों के एकमुश्त इलाज हेतु ‘राष्ट्रीय आरोग्य निधि’ योजना के तहत 15 लाख रुपये तक की वित्तीय सहायता देगी.

इस नीति मसौदे का मुख्य उद्देश्य उन गरीब लोगों को 15 लाख रूपये की सहायता प्रदान करना है जो उपचार का खर्च वहन नहीं कर सकते हैं. इस मसौदे की बहुत लंबे समय से मांग चली आ रही थी. इस मसौदा को दुर्लभ रोग 2020 नाम दिया गया है.

विभिन्न मीडिया हाउसों में प्रकाशित रिपोर्टों के अनुसार, भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) की स्थापना की जाएगी. यह परिषद आयुष्मान भारत योजना के लाभार्थियों का एक डेटाबेस तैयार करेगी. देश के लाखों गरीब लोगों के लिए दुर्लभ रोग नीति मसौदा मददगार साबित होगी.

मुख्य बिंदु

• आईसीएमआर दुर्लभ बीमारियों से पीड़ित लोगों की पहचान करेगा और उनके इलाज के लिए 15 लाख रुपये तक की वित्तीय सहायता प्रदान करेगा.

• ड्राफ्ट में स्वैच्छिक क्राउड-फंडिंग हेतु अलग डिजिटल प्लेटफॉर्म स्थापित करने का प्रस्ताव दिया गया है.

• मसौदे में कहा गया है कि सरकार लोगों को अधिकतम स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने हेतु वित्तीय सुविधाएं प्रदान करने के लिए एक वैकल्पिक तंत्र बनाना चाहती है. इस योजना के तहत एक डिजिटल प्लेटफॉर्म बनाया जाएगा.

• मसौदा नीति के मुताबिक इन केंद्रों में मरीजों के उपचार का खर्च ऑनलाइन डिजिटल प्लेटफॉर्म के जरिए प्राप्त दान से पूरा किया जाएगा.

• इस मसौदा के तहत लाभार्थी गरीबी रेखा से नीचे के परिवारों तक सीमित नहीं रहेंगे बल्कि आयुष्मान भारत-प्रधानमंत्री जन समृद्धि योजना के प्रावधानों के मुताबिक 40 फीसदी आबादी भी इसके पात्र होंगे.

• केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय का उद्देश्य कुछ चिकित्सा संस्थानों को दुर्लभ बीमारियों के इलाज के लिए उत्कृष्ट केंद्रों के रूप में अधिसूचित करने का इरादा है.

दुर्लभ रोग क्या है?

दुर्लभ रोग जानलेवा, गंभीर और पुरानी बीमारियाँ हैं. अलग-अलग दुर्लभ रोगों के लक्षण भी अलग होते हैं. दुर्लभ रोग रोगी के पूरे जीवन को प्रभावित करते हैं. ये रोग मरीज को अशक्‍त बना सकते है और धीरे-धीरे उनकी क्षमता खत्‍म कर सकते हैं यहां तक कि ये जानलेवा भी साबित हो सकते हैं.

इस समय विश्व में करीब 7000 ऐसे रोग हैं जिन्‍हें दुर्लभ माना जाता है. इनमें कुछ जानेमाने नाम सिस्टिक फाइब्रोसिस, जो श्‍वसन तंत्र और पाचन तंत्र को प्रभावित करता है. दुर्लभ बीमारी एक ऐसी स्वास्थ्य स्थिति होती है जिसका प्रचलन लोगों में प्रायः कम पाया जाता है.

80 फीसदी दुर्लभ बीमारियाँ मूल रूप से आनुवंशिक होती हैं, इसलिये बच्चों पर इसका विपरीत प्रभाव पड़ता है. भारत में 56 मिलियन से 72 मिलियन लोग दुर्लभ बीमारियों से प्रभावित हैं. दुर्लभ रोगों के बारे में समाज में अधिकांश लोगों को कोई जानकारी नहीं होती है इसलिए इनके रोगियों को सामाजिक भेदभाव का सामना करना पड़ता है.

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क्या है क्राउड-फंडिंग?

क्राउडफंडिंग किसी खास परियोजना, बिजनेस वेंचर तथा सामाजिक कल्याण हेतु तमाम लोगों से छोटी-छोटी रकम जुटाने की प्रक्रिया है. इसमें वेब आधारित प्लेटफॉर्म या सोशल नेटवर्किंग का उपयोग किया जाता है. इनके जरिए फंड जुटाने वाला संभावित निवेशकों को फंड जुटाने का कारण बताता है. कम्यूनिटी क्राउडफंडिंग में दान आधारित तथा पुरस्कार आधारित क्राउडफंडिंग शामिल है.

Vikash Tiwari is an content writer with 3+ years of experience in the Education industry. He is a Commerce graduate and currently writes for the Current Affairs section of jagranjosh.com. He can be reached at vikash.tiwari@jagrannewmedia.com
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