भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआइ) ने 6 जुलाई 2017 को ‘ग्राहक सुरक्षा-अनधिकृत इलेक्ट्रॉनिक बैंकिंग ट्रांजैक्शन में ग्राहकों की सीमित जिम्मेदारी’ पर संशोधित दिशानिर्देश जारी किये हैं. बैंक खाते और कार्ड के अनधिकृत ट्रांजैक्शन से पैसा कटने की शिकायतें बढ़ने के बाद संशोधित दिशानिर्देश जारी किये गये हैं.
मुख्य तथ्य:
• बैंक या ग्राहक की गलती से नहीं बल्कि सिस्टम में कहीं गड़बड़ी होने के कारण नुकसान होता है तो ग्राहकों की कोई जिम्मेदारी नहीं होगी. ऐसी स्थिति में पूरी राशि उन्हें वापस मिल जाएगी. हालांकि यह तभी मानी जाएगी जब ग्राहक बैंक से अनधिकृत ट्रांजैक्शन की जानकारी मिलने के तीन दिन के भीतर इसकी जानकारी बैंक को देगा.
• आरबीआई ने कहा कि यदि थर्ड पार्टी की ओर से हुए फ्रॉड की सूचना देने में अगर 4 दिन से 7 दिन की देरी की जाती है, तो कस्टमर को 25 हजार रुपए तक का नुकसान खुद उठाना पड़ेगा.
• वहीं अगर नुकसान खाता धारक की गलती से अर्थात् पेमेंट से जुड़ी गोपनीय जानकारियां साझा करने जैसी किसी वजह से हुआ है तो इसकी सूचना तुरंत बैंक को देनी होगी अन्यथा पूरे नुकसान का जिम्मेदार वह स्वयं होगा.
• अगर ग्राहक 7 दिनों के बाद किसी फ्रॉड की रिपोर्ट करता है, तो बैंक बोर्ड तय पॉलिसी के आधार पर ग्राहक की देनदारी पर विचार करेगा. आरबीआई के मुताबिक ऐसे मामलों में बचत बैंक खाता धारक की अधिकतम देनदारी 10,000 रुपये हो सकती है.
• रिजर्व बैंक के मुताबिक अनधिकृत ट्रांजैक्शन की जानकारी देने के बाद अगर कोई नुकसान होता है तो इसकी जिम्मेदारी बैंक की होगी.
• आरबीआई ने कहा है कि बैंकों को ऐसे मामलों में इन्श्योरेंस क्लेम का इंतजार किए बिना सेटलमेंट करना होगा. उनको ग्राहक के लिए एसएमएस अलर्ट सर्विस लेना मैंडेटरी करना चाहिए और जहां संभव हो वहीं इलेक्ट्रॉनिक बैंकिंग ट्रांजैक्शंस की जानकारी ई-मेल से दी जानी चाहिए.
Comments
All Comments (0)
Join the conversation