भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने सुधा बालकृष्णन को पहला मुख्य वित्तीय अधिकारी (सीएफओ) नियुक्त किया है. उनका कार्यकाल 3 साल का होगा. इतिहास में पहली बार रिजर्व बैंक में किसी सीएफओ की नियुक्ति हुई है.
उर्जिल पटेल के सितम्बर 2016 में आरबीआई गवर्नर बनने के बाद से यह केन्द्रीय बैंक में सबसे बड़ा संगठनात्मक बदलाव है. इस नियुक्ती के साथ सुधा बालाकृष्णन आरबीआइ की 12वीं कार्यकारी निदेशक भी बन गर्इ हैं.
सुधा बालाकृष्णन का कार्य:
आरबीआई द्वारा जारी एक विज्ञापन के मुताबिक, सुधा पर रिजर्व बैंक की वित्तीय स्थिति और बजटीय प्रक्रियाएं के बारे में जानकारी देने की जिम्मेदारी होगी. बैंक की बैलेंस सीट और रिजर्व बैंक में काम करने वाले कर्मचारियों का भविष्य निधी की दर करने की जिम्मेदारी भी उनपर होगी.
विज्ञापन भी जारी:
आरबीआई इस पद के लिए योग्य उम्मीदवार की तलाश मई 2017 से कर रहा था. इस दौरान केंद्रीय बैंक ने सीएफओ पद के लिए विज्ञापन भी जारी किया था.
सुधा बालाकृष्णन:
- सुधा बालाकृष्णन एक चार्टेड एकाउंटेंट हैं जिन्हें हाल ही में एनएसडीएल में वाइस प्रेजिडेंट के पद पर नियुक्त किया गया था. एनएसडीएल देश की पहली और सबसे बड़ी डिपॉजिटरी है.
- सुधा बालकृष्णन को सरकारी बैंक खाता विभाग का प्रभारी बनाया गया है. यह विभाग पेमेंट और टैक्स वसूली से जुड़े लेनदेन का काम देखता है. सेंट्रल बैंक के देश और विदेशों में निवेश का काम भी वे ही देखेंगी.
भारतीय रिजर्व बैंक:
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) भारत का केन्द्रीय बैंक है. यह भारत के सभी बैंकों का संचालक है. रिजर्व बैक भारत की अर्थव्यवस्था को नियन्त्रित करता है.
आरबीआई की स्थापना 01 अप्रैल 1935 को रिजर्व बैंक ऑफ इण्डिया ऐक्ट 1934 के अनुसार हुई.
डॉ॰ भीमराव आंबेडकर ने भारतीय रिजर्व बैंक की स्थापना में अहम भूमिका निभाया था. उर्जित पटेल भारतीय रिजर्व बैंक के वर्तमान गवर्नर हैं, जिन्होंने 04 सितम्बर 2016 को पदभार ग्रहण किया. रिज़र्व बैंक का कामकाज केन्द्रीय निदेशक बोर्ड द्वारा शासित होता है. भारतीय रिज़र्व अधिनियम के अनुसार इस बोर्ड की नियुक्ति भारत सरकार द्वारा की जाती है. यह नियुक्ति चार वर्षों के लिये होती है.
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