रूस इस साल के अंत तक आर्कटिक जलवायु और पर्यावरण की निगरानी हेतु अपना पहला आर्कटिक-एम उपग्रह (Arktika-M satellite) लॉन्च करेगा. यह जानकारी लावोचिन एयरोस्पेस कंपनी के जनरल डायरेक्टर व्लादिमीर कोलीमकोव ने न्यूज एजेंसी स्पुतनिक को दी है.
व्लादिमीर कोलीमकोव ने कहा कि यह अब तक का नंबर एक आर्कटिक-एम अंतरिक्षयान विकसित किया गया है और इसका रेडियो-इलेक्ट्रॉनिक परीक्षण किया जारहा है. इसे लॉन्च करने की योजना साल 2020 के अंत तक बनाई गई है. उन्होंने आगे कहा कि दूसरे आर्कटिक-एम उपग्रह पर अभी भी चल रहा है और इसे साल 2023 में लॉन्च किया जाएगा.
अंतरिक्ष उद्योग के सूत्र ने फरवरी में स्पूतनिक को बताया था कि बैकोनूर अंतरिक्ष केंद्र से 09 दिसंबर 2020 के लिए पहली अर्कटिका-एम उपग्रह की लॉन्चिंग की योजना बनाई गई थी. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार फ्रीगैट बूस्टर के साथ उपग्रह को सोयूज-2.1.1 वाहक रॉकेट का उपयोग करके लॉन्च किया जाएगा.
उद्देश्य
रूस का आर्कटिका-एम रिमोट-सेंसिंग और आपातकालीन संचार उपग्रह पृथ्वी के ध्रुवीय क्षेत्रों में मौसम संबंधी डेटा एकत्र करेगा. इससे मौसम के पूर्वानुमान में सुधार करने की अनुमति दी जाएगी और वैज्ञानिकों को जलवायु परिवर्तन का बेहतर अध्ययन करने में सक्षम बनाएगा.
आर्कटिक वृत्त के बारे में
आर्कटिक वृत्त पृथ्वी के नक्शे में अक्षांश द्वारा चिह्नित पांच प्रमुख क्षेत्रों में सबसे उत्तरी क्षेत्र है. इस वृत्त के उत्तरी क्षेत्र को आर्कटिक के रूप में जाना जाता है और दक्षिण क्षेत्र को उत्तरी शीतोष्ण क्षेत्र कहा जाता है. आर्कटिक वृत्त के उत्तर में , क्षितिज के ऊपर, प्रति वर्ष सूर्य कम से कम एक दिन (चौबीस घंटे) के लिए दिखाई देता है.
आर्कटिक वृत्त में, आम तौर पर जलवायु ठंडी है, लेकिन नॉर्वे के तटीय क्षेत्रों में, गल्फ स्ट्रीम के परिणाम स्वरुप, तापमान अपेक्षाकृत अधिक रहता है , जो उत्तरी नॉर्वे और उत्तर पश्चिमी रूस के बंदरगाहों को वर्षभर बर्फ से मुक्त रखते है. अंदरूनी इलाको में, ग्रीष्मकाल काफी गर्म होता है, जबकि सर्दियों बेहद ठंडी होती है.
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