सुप्रीम कोर्ट ने 03 जुलाई 2018 को एक महत्वपूर्ण फैसले में राज्यों के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) की नियुक्ति पर आदेश जारी किया है.
सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों, केंद्रशासित प्रदेशों को आदेश दिया कि वह किसी भी पुलिस अधिकारी को कार्यवाहक पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) नियुक्त न करें.
नियुक्ति से संबंधित नए दिशानिर्देश:
- सुप्रीम कोर्ट ने आदेश देते हुए राज्यों से कहा कि डीजीपी पद पर नियुक्ति के लिए वह यूपीएससी को नाम, पद पर आसीन अधिकारी की सेवानिवृत्ति से तीन महीने पहले भेजे.
- यूपीएससी तीन पुलिस अधिकारियों के नाम छांटेगी और राज्य उनमें से किसी भी एक को डीजीपी पद पर नियुक्त कर सकेंगे.
- सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि पुलिस अधिकारियों की नियुक्ति के संबंध में कोई नियम या राज्य का कानून प्रभावी नहीं होगा.
प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने सभी राज्यों को निर्देश दिया कि वह डीजीपी या पुलिस आयुक्त के पद पर नियुक्त किए जा सकने वाले संभावित उम्मीदवारों के रूप में वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के नाम केंद्रीय लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) को भेजे. न्यायमूर्ति एएम खानविलकर और न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ भी पीठ का हिस्सा थे. पीठ ने कहा कि यूपीएससी इन नामों में से तीन सबसे उपयुक्त अधिकारियों की सूची बनाएगी और राज्य उनमें से किसी भी एक को पुलिस प्रमुख नियुक्त करने को स्वतंत्र होंगे.
पृष्ठभूमि:
बेंच ने पुलिस सुधारों के लिए पूर्व डीजीपी प्रकाश सिंह की याचिका पर 2006 में सुनाए गए फैसले में सुधार के लिए केंद्र के आवेदन पर ये निर्देश दिए. सुप्रीम कोर्ट प्रकाश सिंह प्रकरण में दिए गए निर्देशों में से एक निर्देश में सुधार के लिए केंद्र की अर्जी पर सुनवाई कर रहा था. इसमें डीजीपी का कम से कम दो साल का कार्यकाल तय करने के लिए कदम उठाने जैसा निर्देश भी शामिल था.
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