सेबी (SEBI) द्वारा गठित एक समिति ने इस बाजार विनियामक निकाय के कामकाज को धारदार बनाने के लिए कई अहम सिफारिशें की हैं.
विश्वनाथन समिति ने कहा है कि सेबी को जांच में सहायता के लिए कॉल सुनने का अधिकार मांगना चाहिए और कंपनियों में धोखाधड़ी एवं अन्य नियमों के उल्लंघनों का भांडाफोड़ करने वाले कर्मचारियों की दंड से रक्षा की जानी चाहिए.
पूर्व विधि सचिव तथा लोकसभा पूर्व महासचिव टी के विश्वनाथन की अध्यक्षता वाली समिति ने बाजार धोखाधड़ी, भेदिया कारोबार, निगरानी तथा जांच से जुड़े नियमों में कई बदलाव सुझाए हैं. साथ ही सूचीबद्ध कंपनियों में व्हीसल ब्लोअर नीति (आंतरिक भेदी नीती) अनिवार्य किए जाने की सिफारिश की है.
मुख्य तथ्य:
- समिति ने कंपनी की कीमत से जुड़ी संवेदशील सूचनाएं रखने वाले अधिकारियों /कर्मचारियों साथ एक ही पते पर रहने वाले नजीदीकी संबंधियों की सूची रखने का सुझाव दिया है.
- भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) तथा अन्य एजेंसियों द्वारा कई प्रमुख मामलों की जांच के मद्देनजर कई सिफारिशें काफी महत्वपूर्ण हैं.
- इसमें सूचीबद्ध कंपनियों में वरिष्ठ कार्यकारियों के रिश्तेदार तथा विभिन्न कर्मचारी भी जांच के घेरे में आएंगे.
- इन मामलों में आईसीआईसीआई बैंक, वीडियोकॉन इंडस्ट्रीज के साथ एचडीएफसी बैंक, एक्सिस बैंक तथा टाटा मोटर्स से संबंधित प्रकरण शामिल हैं.
- इन मामलों में संवेनशील वित्तीय जानकारी उनकी घोषणा से पहले ही कथित रूप से व्हाट्स एप पर सार्वजनिक हो गई.
- सेबी ने समिति की सिफारिशों पर लोगों से 24 अगस्त 2018 तक प्रतिक्रिया देने को कहा है.
बातचीत सुनने का अधिकार:
समिति ने अपनी सिफारिश में कहा कि सेबी जांच को धारदार बनाने के लिए टेलीफोन पर बातचीत सुनने का अधिकार की मांग कर सकता है. हालांकि इस शक्ति के उपयोग के लिए सभी जरूरी एहतियात बतरने की जरूरत है. फिलहाल सेबी के पास कॉल डेटा रिकार्ड मांगने का अधिकार है, लेकिन उसके पास बातचीत सुनने का अधिकार नहीं है.
समिति का गठन: |
बाजार के दुरुपयोग को राकने और प्रतिभूति बाजार में निष्पक्ष लेन-देन सुनिश्चित करने के लिए समिति का गठन अगस्त 2017 में किया गया. समिति में विधि कंपनियों, फोरेंसिक आडिट कंपनियां, शेयर बाजार, म्यूचुअल फंड, ब्रोकर, उद्योग मंडल, डेटा विश्लेषण और सेबी के प्रतिनिधि शामिल हैं. |
भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी):
भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) भारत में प्रतिभूति और वित्त का नियामक बोर्ड है. इसकी स्थापना सेबी अधिनियम 1992 के तहत 12 अप्रैल 1992 में हुई. सेबी का मुख्यालय मुंबई में हैं और क्रमश: नई दिल्ली, कोलकाता, चेन्नई और अहमदाबाद में क्षेत्रीय कार्यालय हैं.
सेबी के अस्तित्व में आने से पहले पूंजी निर्गम नियंत्रक नियामक प्राधिकरण था, जिसे पूंजी मुद्दे (नियंत्रण) अधिनियम, 1947 के अंतर्गत अधिकार प्राप्त थे. सेबी का प्रमुख उद्देश्य भारतीय स्टाक निवेशकों के हितों का उत्तम संरक्षण प्रदान करना और प्रतिभूति बाजार के विकास तथा नियमन को प्रवर्तित करना है.
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