सूर्य को ऊष्मा देने वाली चुंबकीय तरंगों का 70 वर्ष पुराना रहस्य सुलझा: शोध

Mar 7, 2018, 10:50 IST

सूर्य के वायुमंडल को गर्म करने वाली यह चुंबकीय तरंगें ठीक उसी प्रकार बहुत अधिक प्रभावशाली हैं जैसे कि मॉडर्न एमआरआई मशीनों में चुंबकीय तरंगों का उपयोग किया जाता है.

Seventy year old mystery of how magnetic waves heat the Sun cracked in hindi
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क्वीन्स यूनिवर्सिटी बेलफ़ास्ट के वैज्ञानिकों ने एक शोध के तहत यह घोषणा की है कि उन्होंने चुंबकीय तरंगों से सूर्य को प्राप्त होने वाली ऊष्मा के रहस्य को सुलझा लिया है. वैज्ञानिकों का मानना है कि चुंबकीय तरंगों के कारण सूर्य के वातावरण पर ऊष्मा उत्पन्न होती है तथा गर्म हवाएं चलती हैं.

शोध के मुख्य तथ्य


•    लंबे समय से वैज्ञानिक यह दावा कर रहे थे कि यह तरंगें सूर्य के अत्यधिक गर्म धरातल का निर्माण करने में अहम भूमिका निभाती हैं. क्वीन्स यूनिवर्सिटी द्वारा किये गये शोध में यह सिद्ध किया गया.

•    यह माना जा रहा था कि अल्फवेन तरंगें सूर्य के धरातल से ऊपर की ओर उठती हैं तथा उसके वातावारण को गर्म करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं. पिछले एक दशक में वैज्ञानिकों द्वारा किये गये अध्ययन से पता चला है कि अल्फवेन तरंगें मौजूद तो हैं लेकिन उनकी मूवमेंट का ऊष्मा में परिवर्तित होने का प्रमाण नहीं मिल सका था.

•    इस शोध में वैज्ञानिकों ने न्यू मेक्सिको में उच्च-क्षमता वाले डन सोलर टेलिस्कोप तथा नासा के सोलर डायनामिक्स ऑब्जरवेटरी का उपयोग करते हुए सूर्य की चुंबकीय फील्ड्स का अध्ययन किया.

•    यह चुंबकीय तरंगें ठीक उसी प्रकार बहुत अधिक प्रभावशाली हैं जैसे कि मॉडर्न एमआरआई मशीनों में चुंबकीय तरंगों का उपयोग किया जाता है.

•    सूर्य के प्रकाश को इसके घटक रंगों में बांटकर अंतरराष्ट्रीय शोधकर्ताओं की टीम ने सूर्य के वायुमंडल में मौजूद तत्वों जैसे कैल्शियम तथा आयरन की जांच की.

•    शोध में प्राप्त प्रमाणों का सुपरकंप्यूटर पर अध्ययन किया गया जिसमें पाया गया कि अल्फवेन तरंगें प्लाज्मा के तापमान को बढ़ाने में सहायक होती हैं जिससे सूर्य के वायुमंडल में तेजी से परिवर्तन होता है.


 

पृष्ठभूमि

वर्ष 1942 में स्वीडिश वैज्ञानिक एवं इंजिनियर हनेस अल्फवेन ने दावा किया था कि सूर्य के प्लाज्मा पर चुंबकीय गतिविधियां दिखने पर एक नई प्रकार की तरंगों का आभास होता है. उनके इस शोध के कारण उन्हें वर्ष 1970 में भौतिक विज्ञान का नोबल पुरस्कार दिया गया. उनके इस दावे के बाद इन तरंगों को अल्फवेन तरंगों के नाम से जाना गया. यह तरंगें परमाणु संयंत्रों, गैस के बादलों, धूमकेतु के आसपास, वेधशाला परीक्षण तथा एमआरआई में शामिल होती हैं.

 

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Gorky Bakshi is a content writer with 9 years of experience in education in digital and print media. He is a post-graduate in Mass Communication
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