Bappi Lahiri passed away: मशहूर गायक बप्पी लाहिड़ी का 15 फरवरी 2022 को निधन हो गया है. वे 69 वर्ष के थे. वे जुहू के क्रिटी केयर अस्पताल में भर्ती थे. वे पिछले साल कोरोना से भी संक्रमित हो गए थे. बता दें कि उन्होंने मुंबई के अस्पताल में आखिरी सांस ली. बप्पी लाहिड़ी का जुहू के क्रिटिकेयर हॉस्पिटल में निधन हो गया.
अस्पताल के निदेशक डॉ. दीपक नमजोशी ने के अनुसार, बप्पी लाहिड़ी लगभग एक महीने से अस्पताल में भर्ती थे और उन्हें 14 फरवरी को अस्पताल से छुट्टी दी गयी थी, लेकिन उनकी सेहत 15 फरवरी को फिर से बिगड़ गई. उन्हें स्वास्थ्य संबंधी कई दिक्कतें थी. उनकी देर रात ओएसए (ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एप्निया) के कारण मौत हो गई.
प्रधानमंत्री मोदी ने क्या कहा?
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने एक ट्वीट में कहा कि बप्पी लाहिड़ी जी का संगीत सभी को समेटे हुए था, उनका संगीत विविध भावनाओं को खूबसूरती से व्यक्त करता था. उनके संगीत ने सभी पीढ़ियों को प्रभावित किया है. उन्होंने कहा कि उनका जीवंत स्वभाव सभी को याद होगा. उनके निधन से दुखी हूं. उनके परिवार एवं प्रशंसकों के प्रति संवेदना.
Shri Bappi Lahiri Ji’s music was all encompassing, beautifully expressing diverse emotions. People across generations could relate to his works. His lively nature will be missed by everyone. Saddened by his demise. Condolences to his family and admirers. Om Shanti. pic.twitter.com/fLjjrTZ8Jq
— Narendra Modi (@narendramodi) February 16, 2022
बप्पी लाहिड़ी के बारे में
बप्पी लाहिड़ी का जन्म साल 1952 में पश्चिम बंगाल के कलकत्ता में शास्त्रीय संगीत में एक समृद्ध परंपरा वाले परिवार में हुआ था. उन्होंने 19 साल की छोटी उम्र में एक संगीत निर्देशक के रूप में अपना करियर शुरू किया था.
उनके पिता, अपरेश लाहिड़ी एक प्रसिद्ध बंगाली गायक थे तथा उनकी मां, बंसारी लाहिड़ी एक संगीतकार और एक गायिका थीं, जो शास्त्रीय संगीत एवं श्यामा संगीत में पारंगत थीं.
उन्हें बंगाली फिल्म, दादू (1972) में गाना गाने का पहला अवसर मिला था. हालांकि उन्होंने हिंदी फिल्मों में अपनी जगह फिल्म नन्हा शिकारी (1973) से बनाना शुरू किया.
ताहिर हुसैन की हिंदी फिल्म, ज़ख्मी (1975) से उन्हें बॉलीवुड में स्वंयको स्थापित किया और एक पार्श्व गायक के रूप में अपनी पहचान बनाई.
बप्पी दा को लोग 'रॉकस्टार' के नाम से भी जानते थे. बप्पी दा सोना पहनने और हमेशा चश्मा लगाकर पहनने हेतु भी जाने जाते थे. उनका असली नाम अलोकेश लाहिड़ी है. उन्होंने तीन साल की उम्र में तबला बजाना शुरू कर दिया था और जब वे 14 साल के हुए तो पहला संगीत दिया था.
Comments
All Comments (0)
Join the conversation