Sindhutai Sapkal Passed Away: मशहूर सामाजिक कार्यकर्ता और पद्मश्री अवार्ड से सम्मानित सिंधुताई सपकाल (Sindhutai Sapkal) का 04 जनवरी 2022 को निधन हो गया है. वे 75 साल के थे. उन्हें अनाथ बच्चों की मां (Mother of Orphans) के रूप में जाना जाता था.
सिंधुताई सपकाल ने अपना पूरा जीवन अनाथ बच्चों की जिंदगी संवारने में लगा दिया. सिंधुताई 1400 से ज्यादा बच्चों की मां और एक हज़ार से अधिक की दादी थीं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सिंधुताई के निधन पर दुख प्रकट किया और उनके परिजनों के प्रति संवेदना व्यक्त की है.
Dr. Sindhutai Sapkal will be remembered for her noble service to society. Due to her efforts, many children could lead a better quality of life. She also did a lot of work among marginalised communities. Pained by her demise. Condolences to her family and admirers. Om Shanti. pic.twitter.com/nPhMtKOeZ4
— Narendra Modi (@narendramodi) January 4, 2022
महाराष्ट्र की 'मदर टेरेसा'
सिंधुताई को महाराष्ट्र की 'मदर टेरेसा' कहा जाता है. उन्होंने अपनी पूरी जिंदगी अनाथ बच्चों की सेवा में गुजार दी. उन्होंनें लगभग 1400 अनाथ बच्चों को गोद लिया और उनकी देखभाल की. इस नेक काम के लिए उन्हें पद्मश्री समेत कई अन्य पुरस्कारों से भी सम्मानित किया गया था. देश के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने ट्वीट कर कहा कि सिंधुताई सपकाल का जीवन साहस,समर्पण और सेवा के प्रति समर्पित रहा.
जानें कौन हैं सिंधुताई सपकाल?
• सिंधुताई सपकाल का जन्म 14 नवंबर 1948 को महाराष्ट्र के वरधा जिले में हुआ था. बचपन में उन्हें लोग 'चिंदी' कहकर पुकारते थे.
• सिंधुताई को 2021 में पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया था. इसके अतिरिक्त उन्हें 750 से ज्यादा पुरस्कारों से सम्मानित किया गया था. उन्होंने हमेशा पुरस्कार राशि अनाथालयों में खर्च की.
• महाराष्ट्र के वर्धा में एक गरीब परिवार में जन्मी सिंधुताई को बेटी होने के कारण लंबे समय तक भेदभाव झेलना पड़ा था. सिंधुताई सपकाल की जिन्दगी एक ऐसे बच्चे के तौर पर शुरू हुई थी, जिसकी किसी को जरूरत नहीं थी.
• सिंधुताई की मां उनके स्कूल जाने के विरोध में थीं. हालांकि उनके पिता चाहते थे कि वह पढ़ें. लिहाजा जब वह 12 साल की थीं तब उनकी शादी करा दी गई थी. उनका पति उनसे 20 साल बड़ा था.
• सिंधुताई ने अपने जीवन में 1400 से अधिक बच्चों को अपनाया. सिंधुताई का परिवार बहुत बड़ा है. उनके 207 जमाई है, 36 बहुएं हैं और 1000 से अधिक पोते-पोतियां हैं.
• आपको बता दें कि उनके नाम पर 6 संस्थाएं चलती हैं जो अनाथ बच्चों की मदद करती हैं. सिंधुताई के जीवन पर 2010 में मराठी में फिल्म बन चुकी है.
• अनाथ बच्चों का पेट भरने के लिए उन्होंने सड़कों पर भीख तक मांगी. पद्मश्री पुरस्कार मिलने पर सिंधुताई ने कहा कि यह पुरस्कार मेरे सहयोगियों और मेरे बच्चों का है. उन्होंने लोगों से अनाथ बच्चों को अपनाने की अपील की है.
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