केंद्र सरकार ने महात्मा गांधी की पुण्य तिथि पर स्पर्श कुष्ठ जागरूकता पखवाड़े का आयोजन किया. यह अभियान 30 जनवरी 2017 को शुरू होकर 13 फरवरी 2017 तक चलेगा.
स्पर्श कुष्ठ जागरूकता अभियान के तहत पहले दिन शपथ ली जाएगी. प्रधानमंत्री नरेन्द्रो मोदी ने अपने संदेश में देश से कुष्ठय रोग के निवारण के लिए सामूहिक प्रयास की अपील की है.
प्रधानमंत्री नरेन्द्रश मोदी ने कहा कि राष्ट्रीय कुष्ठ उन्मूलन कार्यक्रम के तहत इस रोग के निवारण के प्रयास महात्मा गांधी की अभिलाषा के प्रति सच्चीउ श्रद्धांजलि है.
एक रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2015 में विश्व स्तर पर 212000 लोगों को कुष्ठ रोग हुआ था जिसमे से 60% भारतीय थे, अन्य उच्च बोझ वाले देश ब्राजील तथा इंडोनेशिया थे. नए मामलों में 8.9% बच्चे थे और 6.7% विकृति के साथ दिखाई दे रहे थे.
पल्स पोलियो अभियान के तहत घर-घर जाने वाले स्वास्थ्यकर्मी कुष्ठ रोग की पड़ताल भी करेंगे. केंद्र सरकार का अनुमान है कि देश भर मे 10 हजार की आबादी में केवल 1 व्यक्ति को कुष्ठ रोग हो सकता है.
कुष्ठ रोग के बारे में:
कुष्ठ रोग माइकोबैक्टीरियम लेप्री के कारण होने वाला एक क्रोनिक संक्रामक रोग है, जिसके परिणामस्वरूप त्वचा पर गंभीर कुरूप घाव हो जाते हैं और हाथों तथा पैरों की तंत्रिकाएं क्षतिग्रस्त हो जाती हैं.
समान्यत त्वाचा पर पाये जाने वाले पीले या ताम्र रंग के धब्बेप जो सुन्ना हों या रंग तथा गठन में परिवर्तन दिखाई दे, तो यह कुष्ठ रोग के लक्षण हो सकते हैं. यह रोग छूत से नहीं फैलता.
कुष्ट सामान्यत तीन प्रकार का होता है:
तंत्रिका कुष्ट: इसमें शरीर के एक अथवा अनेक अवयवों की संवेदनशीलता समाप्त हो जाती है। सुई चुभोने पर भी मनुष्य किसी प्रकार का कोई कष्ट अनुभव नहीं करता.
ग्रंथि कुष्ट: इसमें शरीर के किसी भी भाग में त्वचा से भिन्न रंग के धब्बे या चकत्ते पड़ जाते हंज अथवा शरीर में गाँठे निकल आती है.
मिश्रित कुष्ट: इसमें शरीर के अवयवों की संवेदनशीलता समाप्त होने के साथ-साथ त्वचा में चकत्ते भी पड़ते हैं और गाँठे भी निकलती हैं.
रोकथाम:
रिफैम्पीसीन की केवल एक खुराक लेने से संसर्गजन्य कुष्टरोग में 57% से लेकर 75% तक की कमी हो जाती है. इसी तरह बीसीजी का टिका लगाने से भी कुष्ट रोग से सुरक्षा प्राप्त होती है.
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