श्रीलंका में महिलाओं को शराब खरीदने की इजाज़त देने वाले सरकार के कदम पर राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरीसेना ने रोक लगा दी है. श्रीलंका सरकार का मानना था कि मौजूदा क़ानून महिलाओं के साथ भेदभाव करता था.
श्रीलंका सरकार ने यह भी प्रस्ताव रखा था कि शराब बिक्री स्थलों पर महिलाओं को काम करने की अनुमति दी जानी चाहिए. इसके बाद राष्ट्रपति ने सरकार के फैसले को पलटते हुए प्रतिबंध जारी रखने का आदेश दिया है. राष्ट्रपति ने कहा कि उन्हें मीडिया के ज़रिए सरकार के इस कदम की जानकारी मिली.
श्रीलंका में इस कानून को हालांकि कभी पूरी कड़ाई से लागू नहीं किया गया लेकिन पिछले कुछ समय से काफी चर्चा में रहा. इस क़ानून के आने के बाद 60 साल में पहली बार 18 साल से अधिक उम्र की महिलाएं कानूनन शराब खरीद सकती थीं.
क्या है कानून?
श्रीलंका में वर्ष 1950 के दशक की शुरुआत में श्रीलंका द्वारा पारित कानून के मुताबिक, महिलाओं को किसी प्रकार की शराब नहीं बेचा जा सकती थी और उन्हें शराब कारखानों और शराब की खुदरा दुकानों में काम करने की इजाजत नहीं थी. मीडिया में प्रकाशित जानकारी के अनुसार विश्व स्वास्थ संगठन के 2014 के आंकड़ों में बताया गया है कि श्रीलंका में 56.9% पुरुषों की तुलना में 80.5% महिलाओं ने श्रीलंका में कभी शराब नहीं पी.
बौद्ध-बहुल वाले श्रीलंका के मुख्य भिक्षुओं ने प्रतिबंध हटाये जाने के सरकार के फैसले की आलोचना की थी. उनका तर्क था कि इससे कई महिलाओं को शराब की लत लग जाएगी जिससे श्रीलंका में पारिवारिक संस्कृति तबाह होने का खतरा है. राष्ट्रपति ने कहा कि उन्होंने सरकार के इस कदम की आलोचनाओं के बारे में सुना और प्रतिबंध हटाने की अधिसूचना को वापस लेने का आदेश दिया.
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