अमेरिका स्थित वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी के अध्ययन में बताया गया है कि विश्वभर में डायबिटीज़ (मधुमेह) के खतरों का एक प्रमुख कारक वायु प्रदूषण है.
हालांकि अब तक डायबिटीज को मुख्य रूप से जीवनशैली से होने वाली बीमारी बताया जाता है. साथ ही आहार की आदतों और सुस्त जीवनशैली को इस बीमारी का मुख्य कारक माना जाता था. लेकिन अमेरिका के वाशिंगटन यूनिवर्सिटी ऑफ मेडिसिन में हुए अध्यन के मुताबिक यह बीमारी वायु प्रदूषण से भी हो सकती है.
अध्ययन से संबंधित मुख्य तथ्य:
- अध्ययन के अनुसार, वायु प्रदूषण के कारण शरीर में इंसुलिन का उत्पादन कम हो जाता है जो शरीर को स्वस्थ बनाए रखने के लिए ज़रूरी ब्लड ग्लूकोज़ को ऊर्जा में बदलने से रोकता है.
- अमेरिका में हुए एक रिसर्च के अनुसार 2016 में डायबिटी के सात नए मामलों में एक मामले के लिए वायु प्रदूषण जिम्मेदार रहा. इसमें पता चला है कि वायु प्रदूषण की वजह से भी इस बीमारी के पनपने की आशंका बढ़ जाती है.
- अध्ययन में सामने आया कि 2016 में विश्वभर में प्रदू्षण की वजह से डायबिटीज के 32 लाख नए मामले सामने आए. ये उस साल विश्वभर में मधुमेह के कुल नए मामलों का करीब 14 प्रतिशत हैं.
- विश्वभर में फिलहाल 42 करोड़ मधुमेह के रोगी हैं. वर्तमान में भारत में ही 3 करोड़ से ज्यादा डायबिटीज के शिकार लोग हैं.
17 लाख अमेरिकी पूर्व सैनिकों से जुड़े आंकड़ों पर अध्ययन:
वेटरन्स अफेयर्स क्लीनिकल ऐपिडेमियोलॉजी सेंटर के वैज्ञानिकों के साथ काम करने वाले अनुसंधानकर्ताओं ने 17 लाख अमेरिकी पूर्व सैनिकों से जुड़े आंकड़ों पर अध्ययन किया जिन्हें पहले कभी मधुमेह की शिकायत नहीं रही.
डायबिटीज़ (मधुमेह):
डायबिटीज जिसे सामान्यतः मधुमेह कहा जाता है. ब्लड में शुगर का स्तर बढ़ने से डायबिटीज हो जाता है. मधुमेह के मरीज को थकान और प्यास लगने के अलाव कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है.
यदि अनुपचारित छोड़ दिया जाता है, मधुमेह कई जटिलताओं का कारण बन सकता है. तीव्र जटिलताओं में मधुमेह केटोएसिडोसिस, नॉनकेटोटिक हाइपरोस्मोलर कोमा, या मौत शामिल हो सकती है. गंभीर दीर्घकालिक जटिलताओं में हृदय रोग, स्ट्रोक, क्रोनिक किडनी की विफलता, पैर अल्सर और आंखों को नुकसान शामिल है. डायबिटीज के शुरूआती लक्षण में व्यक्ति के शरीर में लगे चोट, ठोकर घाव, चटने पर शीध्र ठीक नहीं होते.
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