भारत की सर्वोच्च न्यायलय ने 29 मार्च 2017 को भारत स्टेज III (बीएस- III) वाहनों की बिक्री तथा पंजीकरण पर पूर्णतया प्रतिबंन्ध लगा दिया. सर्वोच्च न्यायालय ने सरकार, तथा ऑटोमोबाइल उद्योग को 1 अप्रैल 2017 से बीएस IV वाहनों की ओर रुख करने को कहा.
पृष्ठभूमि
बीएस –III वाहनों के निर्माण की 1 अप्रैल 2017 तक अनुमति दी थी.जबकि इन निर्देशों में ऐसे वाहनों की बिक्री के बारे में कोई समयसीमा निर्धारित नहीं थी.
अप्रैल 2017 के बाद भी बीएस-III वाहनों की बिक्री की सम्भावना को मद्देनजर रखते हुए ईपीसीए(Environment Pollution Control Authority), ने वाहनों की बिक्री पर भी समय सीमा लगाने हेतु सुप्रीम कोर्ट में अपील दर्ज की.
ने ऑटोमोबाइल निर्माताओं से बीएस -III वाहनों की बिक्री बंद करने को कहा.इसके अलावा अर्वोच्च न्यायालय ने सरकारी प्राधिकरण को मोटर वाहन अधिनियम 1988 के तहत बीएस -III वाहनों का पंजीकरण बंद करने को कहा.
इस निर्णय का महत्व
किसी भी समाज के लिए स्वास्थ्य जीवन का एक अभिन्न अंग तथा पहलू है. बी एस IV वाहनों की तरफ रुख करने पर पर्यावरण को निम्नलिखित फायदा होगा.
•बीएस IV वाहन बीएस III वाहनों की तुलना में कम प्रदूषण फैलाते हैं ये NO, NO2, SO2 तथा CO का कम उत्सर्जन करते हैं
•बीएस III से बीएस IV की ओर रुख करने पर भारी वाहनों से पैदा होने वाले कणिका तत्वों में 80% की कमी आ जाएगी तथा कारों की वजह से पैदा होने वाले कणिका तत्वों 50 % की कमी आयेगी.
लांसेट रिपोर्ट के मुताबिक भारत में हर मिनट में 2 लोग वायु प्रदूषण की वजह से मरते हैं इसीलिए भारत में वायु प्रदूषण पर नियंत्रण बहुत जरूरी है.
वैश्विक पटल पर बीएस IV वाहनो की ओर रुख करना भारत के लिए मददगार रहेगा. यह भारत की उत्सर्जन -तीव्रता, भारत की जीडीपी का 35 से 33 प्रतिशत करने में मदद करेगा जो UNFCCC की Intended Nationally Determined Contributions (INDCs) द्वारा निर्धारित पैमाना है.
इसके कार्यान्वयन में समस्याएं
वास्तव में इसके कार्यान्वयन की मुख्य समस्या यह है कि कैसे पहले से ही मौजूद वाहनों का उचित प्रबंधन कैसे किया जाये . एसआईएएम (Society of Indian Automobile Manufacturers) ने सर्वोच्च नयायालय को ये बताया कि अभी भारत में आठ लाख बिना बिके बीएस III वाहन हैं. जिनमे से 96,724 व्यावसायिक वाहन, 6,71,305 दुपहिये वाहन तथा 16,198 चार पहिये वाले वाहन हैं. इन सब की कुल कीमत 15,000 करोड़ रुपये है.
सर्वोच्च न्यायालय तथा वाहनों की बिक्री की समयसीमा के बीच बहुत कम समय है. तो ऐसे वाहन निर्माताओ के पास दो ही विकल्प हैं या तो वे इन्हें निर्यात कर दें या खत्ते में डाल दें. इन दोनों विकल्पों से वाहन निर्मातो को भरी क्षति होगी.
भारत स्टेज मानक
• भारत स्टेज उत्सर्जन के मानक आर ए माशेलकर समिति के सुझाव पर आरम्भ किये गए.
• यह उत्सर्जन के मानकों में मोटर वहां भी शामिल हैं.
• बीएस I मानक 2000 में , बीएस II मानक 2001 तथा 2005 के बीच में , तथा बीएस III मानक 2005 तथा 2010 के बीच लागू किये गए.
• ये बीएस मानक यूरोपियन विनियमन पर अद्धारित हैं.
• 2010 में बीएस IV भारत के 13 शहरो में लागू किये गए.
•2016 में सरकार में बीएस IV मानक पूर्णतया लागू करने का निर्णय लिया.
•बीएस IV NOx+HC के उत्सर्जन में भारी कटौती करता है. इस के अलावा यह वाहनों की आकृति तथा क्षमाताओं पर भी बदलाव की बात करते हैं.
क्या यह कदम वायु की सफाई के लिए पर्याप्त है?
निश्चित रूप से नहीं. क्योकि वाहनों से होने वाला प्रदूषण केवल एक मात्र प्रदूषण नहीं है जिसकी वजेह से वायु प्रदूषित होती है. इसके वायु प्रदूषण के अन्य कारक जैसे खनिज, बायोमास का जलना आदि भी हैं.जो बहुत मात्र में वायु प्रदूषण फैलाते हैं. हर साल वाहनों की बढाती खपत देखते हुए सर्वोच्च न्यायालय का यह फैसला वायु की गुणवत्ता सुधरने में एक छोटा कदम ही लगता है. इसीलिए सरकार को निम्नलिखित कदम भी उठाने चाहिए.
• निजी वाहनों की तुलना में लोक वाहनों का इस्तेमाल को प्रोत्साहन देना.
• अच्छे गुणवत्ता वाले तथा अक्षय ईंधन का इस्तेमाल को प्रोत्साहन देना.
• वायु प्रदूषण अधिनियम 1981 को और अधिक मजबूत बनाना तथा इसका उल्लंघन करने पर सजा को और कड़ी करना.
उपसंहार
1992 में स्वच्छ पर्यावरण Vs भारत सरकार केस में सर्वोच्च न्यायालय ने भारतीय संविधान के आर्टिकल 21 के दायरे को बढाते हुए स्वच्छ पर्यावरण को भी एक अधिकार बनाया था. इस अधिकार पर अपना भरोसा रखते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने यह व्यावसायिक रुचियों से ज्यादा महत्त्व लोगो के स्वास्थ्य को दिया. सर्वोच्च न्यायालय का यह निर्णय , ऑटोमोबाइल उद्योग की सहभागिता के साथ, भारत में वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाएगा.
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