आतंकवादी संगठन तालिबान ने प्रस्तावित तुर्कमेनिस्तान- अफगानिस्तान -पाकिस्तान-भारत (TAPI) पाइपलाइन को समर्थन देने की घोषणा की है. भारत के लिए यह परियोजना सामरिक एवं आर्थिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है.
अफगानिस्तान में तालिबान के विरोध के चलते ये परियोजना कई वर्षों से रुकी हुई थी. यह जानकारी ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट में दी गई है. अफगानिस्तान में 500 मील से अधिक लंबी पाइपलाइन तालिबान नियंत्रित इलाके से गुजरेगी.
TAPI परियोजना से जुड़े मुख्य तथ्य
• यह गैस पाइपलाइन परियोजना तुर्कमेनिस्तान, अफगानिस्तान, पाकिस्तान और भारत (TAPI) के बीच प्रस्तावित है.
• यह परियोजना एशियाई विकास बैंक के आर्थिक सहयोग से पूरी की जाएगी.
• इस परियोजना पर 7.5 अरब डॉलर की लागत आने का अनुमान है, लेकिन परियोजना में देरी होने से इसकी लागत लगातार बढ़ रही है.
• इस परियोजना में पाइपलाइन की कुल लम्बाई लगभग 1680 किलोमीटर है.
• इसे इस प्रकार डिजाइन किया गया है कि प्रतिवर्ष 3.2 अरब घन क्यूबिक फीट प्राकृतिक गैस की आपूर्ति इसमें शामिल चारों देशों को की जाएगी.
• यह पाइपलाइन तुर्कमेनिस्तान के दौलताबाद गैस क्षेत्र से शुरू होकर अफगानिस्तान के हेरात व कंधार तथा पाकिस्तान के क्वेटा व मुल्तान से होकर भारत में फाजिल्का तक आएगी.
• नवंबर, 2014 में भी तुर्कमेनिस्तान की राजधानी अश्काबाद में हुई वार्ता में परियोजना की राह की अधिकांश अड़चनों को दूर करने पर सहमति बन गई थी.
• चारों देशों के प्रमुख 2010 में ही इस परियोजना पर अंतरसरकारी समझौते पर हस्ताक्षर कर चुके हैं.
TAPI परियोजना का लाभ
TAPI परियोजना से वार्षिक 33 अरब क्युबिक मीटर गैस की सप्लाई होगी.इससे हजारों लोगों को नौकरियां मिलेंगी. इससे अफगानिस्तान की कमजोर अर्थव्यवस्था को भी काफी मदद मिलेगी. सरकारी कंपनियां तुर्कमेनगाज, अफगान गैस एंटरप्राइज और गेल इंडिया लिमिटेड इस पर काम कर रही हैं. इस पाइपलाइन के लिए सुरक्षा मुहैया करना एक बड़ी चुनौती होगी, क्योंकि यह दक्षिणी अफ़ग़ानिस्तान से होकर गुज़रती है जहां लगातार हमले होते रहते हैं.
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