भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण (ट्राई) ने टेलीकॉम कंपनियों हेतु नेटवर्क कनेक्टिविटी नियमों को सख्त बना दिया है. अब टेलीकाम कंपनियों के लिए 30 दिन के भेदभाव रहित इंटरकनेक्ट समझौते करना जरूरी होगा. टेलीकॉम इंटरकनेक्शन के नए नियम फरवरी 2018 से लागू होंगे.
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इस समय सीमा के भीतर समझौता न करने अथवा भेदभावपूर्ण समझौता करने वाली कंपनी पर एक लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया जाएगा. टेलीकॉम कंपनियों के बीच इंटरकनेक्शन होने पर ही ग्राहक दूसरी कंपनियों के ग्राहकों के साथ बात कर पाते हैं.
मुख्य तथ्य:
• नए नियमों के मुताबिक प्रत्येक सेवा प्रदाता को किसी दूसरे सेवा प्रदाता का अनुरोध प्राप्त होने के एक महीने के भीतर उसके साथ बिना भेदभाव वाला इंटरकनेक्ट समझौता करना होगा.
• ट्राई ने इंटरकनेक्ट समझौते का मसौदा भी पेश किया है और टेलीकॉम कंपनियों से पांच दिन के भीतर प्रतिक्रियाएं मांगी हैं. इससे पहले इंटरकनेक्ट समझौते करने की कोई समय सीमा निर्धारित नहीं थी.
• ट्राई ने इंटरकनेक्शन के लिए बैंक गारंटी की सीमा निर्धारित करने का एक फॉमरूला भी दिया है. अभी बैंक गारंटी की सीमा आपसी सहमति से तय की जाती है.
• इंटरकनेक्ट प्वाइंट्स पर पोर्ट प्रदान करने की समय सीमा भी अब 90 दिन से घटाकर 30 दिन कर दी गई है.
• ट्राई के अनुसार कंपनियां सेट-अप शुल्क तथा इंफ्रास्ट्रक्चर शुल्क जैसे इंटरकनेक्ट चार्ज ट्राई के नियमों के आधार पर आपसी सहमति से तय कर सकती हैं. शर्त इतनी है कि ये शुल्क तर्कसंगत, पारदर्शी तथा भेदभाव रहित होने चाहिए.
• यदि कोई ऑपरेटर किसी दूसरे ऑपरेटर के पोर्ट्स को डिस्कनेक्ट करना चाहता है तो उसे उस ऑपरेटर को 15 दिन पहले ‘कारण बताओ नोटिस’ जारी कर डिस्कनेक्शन का कारण बताना होगा.
• यदि ऑपरेटर दूसरे ऑपरेटर के उत्तर से संतुष्ट नहीं होता है या उसका उत्तर ही प्राप्त नहीं होता है तो उसे दूसरे ऑपरेटर को पुन: 15 दिन का नोटिस देकर कनेक्शन काटने की तिथि बतानी होगी.
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