भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (UIDAI) ने कानूनों के दोहरेपन से बचने के लिए भारत सरकार से व्यक्तिगत डाटा संरक्षण (PDP) कानून से छूट की अपील की है.
महत्वपूर्ण तथ्य
UIDAI पहले से ही आधार अधिनियम द्वारा शासित है.
PDP कानून बैंकों सहित कई सेवाओं के लिए आधार को अनिवार्य बना रहा था, जिसने सबसे पहले डाटा गोपनीयता बहस शुरू की थी.
भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (UIDAI)
UIDAI इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) द्वारा आधार अधिनियम, 2016 के तहत स्थापित एक वैधानिक प्राधिकरण है. यह भारत के निवासियों के लिए "आधार" नामक विशिष्ट पहचान संख्या (UID) जारी करने के लिए स्थापित किया गया था.
व्यक्तिगत डाटा संरक्षण विधेयक, 2019
व्यक्तियों के व्यक्तिगत डाटा को सुरक्षा प्रदान करने के लिए भारत की संसद में एक विधेयक पारित किया गया था. यह विधेयक डाटा सुरक्षा प्राधिकरण की स्थापना करके, व्यक्तिगत डाटा के प्रसंस्करण के लिए रूपरेखा तैयार करना चाहता है. यह सरकार, भारत में निगमित कंपनियों के साथ ही विदेशी कंपनियों द्वारा व्यक्तिगत डाटा के प्रसंस्करण को नियंत्रित करता है जो भारत में व्यक्तियों के व्यक्तिगत डाटा से संबंधित है. यह व्यक्तिगत डाटा जैसे वित्तीय डाटा, जाति, धार्मिक और राजनीतिक विश्वास, बायोमेट्रिक डाटा को संवेदनशील व्यक्तिगत डाटा के रूप में वर्गीकृत करता है.
विधेयक के प्रावधान
इस विधेयक की धारा 35 भारत की संप्रभुता और अखंडता, राज्य की सुरक्षा, सार्वजनिक व्यवस्था और विदेशी राज्यों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंधों पर केंद्र सरकार को सरकारी एजेंसियों के लिए अधिनियम के सभी या किसी भी प्रावधान को निलंबित करने की शक्ति प्रदान करने का आह्वान करती है.
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धारा 12 डाटा प्रिंसिपल को सेवा या लाभ के उद्देश्य से डाटा संसाधित करने का प्रावधान करती है. हालांकि इस बारे में पूर्व सूचना देनी होगी.
आधार अधिनियम, 2016
इस अधिनियम को आधार (वित्तीय और अन्य सब्सिडी, लाभ और सेवाओं का लक्षित वितरण) अधिनियम, 2016 भी कहा जाता है. यह आधार विशिष्ट पहचान संख्या परियोजना को कानूनी समर्थन प्रदान करता है. हमारे देश की लोकसभा ने इसे 11 मार्च, 2016 को पारित किया था.
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