प्रधानमंत्री नरेन्द्रर मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 23 मार्च 2016 को भारत के अश्गाबाट समझौते में सम्मिलित होने को मंजूरी दे दी. अश्गाबाट समझौता मध्य एशिया एवं फारस की खाड़ी के बीच वस्तुवो की आवाजाही को सुगम बनाने वाला एक अंतरराष्ट्रीमय परिवहन एवं पारगमन गलियारा है.
इस समझौते में सम्मिलित होने से भारत को यूरेशिया क्षेत्र के साथ व्यामपार एवं व्यावसायिक मेल-जोल को बढ़ाने में इस मौजूदा परिवहन एवं पारगमन गलियारा का उपयोग करने में मदद मिलेगी.
इसके अतिरिक्त यह संपर्क बढ़ाने के लिए अंतरराष्ट्रीय उत्तर दक्षिण परिवहन गलियारा (आईएनएसटीसी) को क्रियान्वित करने के हमारे प्रयासों को समन्वित करेगा.
अश्गाबाट समझौते में भारत के सम्मिलित होने की इच्छा को अब डिपोजिटरी देश (तुर्कमेनिस्ताेन) को संप्रेषित किया जाएगा. इसके संस्थापक सदस्यों के सहमति के बाद भारत इस समझौते का एक पक्ष बन जाएगा.
अश्गाझबाट समझौता क्या है?
• अश्गाबाट समझौता अप्रैल 2011 में उजबेकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान, ईरान, ओमान और कतर के बीच हस्ताक्षर किया गया.
• 2014 में इसे अतिरिक्त समर्थन दिया गया जब एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये गए.
• वर्ष 2013 में कतर समझौते से निकल गया और बाद में कजाकिस्तान समझौते से जुड़ गया.
• यह समझौते मध्य एशियाई देशों, ईरान और ओमानी बंदरगाहों के बीच व्यापार मार्ग को विकसित करना है.
अश्गाबाट के बारे मे
अश्गाबाट तुर्कमेनिस्तान का सबसे बड़ा शहर एवं राजधानी है. यह मध्य एशिया के काराकुम मरुस्थल और कोपेत दाग़ पर्वत श्रृंखला के बीच में बसा है. यह वर्ष 1919 और 1927 के बीच पोल्तोरत्स्की के रूप में जाना जाता था.
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