इस 3 नवंबर, 2020 को संयुक्त राष्ट्र महासभा की पहली समिति (फर्स्ट कमेटी) ने परमाणु निरस्त्रीकरण पर भारत द्वारा प्रायोजित दो प्रस्तावों को अपनाया है.
भारत द्वारा प्रायोजित दोनों संकल्प - ‘रेड्युसिंग न्यूक्लियर डेंजर’ और ‘कन्वेंशन ऑन प्रोहिबीशन ऑफ़ दी यूज़ ऑफ़ न्यूक्लियर वेपन्स’ - न्यूक्लियर हथियारों के समूह के तहत परमाणु निरस्त्रीकरण के लक्ष्य के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को दर्शाते हैं.
संयुक्त राष्ट्र महासभा की पहली समिति निरस्त्रीकरण के मुद्दों की देखभाल करती है और परमाणु मुद्दों से निपटने के लिए जिनेवा-आधारित सम्मेलन और निरस्त्रीकरण पर संयुक्त राष्ट्र निरस्त्रीकरण आयोग, दो अन्य निकायों के साथ मिलकर, परस्पर सहयोग से काम करती है.
परमाणु हथियारों के उपयोग पर प्रतिबंध के लिए हुए सम्मेलन के बारे में
वर्ष 1982 के बाद से भारत द्वारा परमाणु हथियारों के उपयोग पर प्रतिबंध के लिए हुए एक सम्मेलन में संकल्प किया गया था. इस संकल्प/ प्रस्ताव को संयुक्त राष्ट्र के अधिकांश सदस्य-देशों का भी समर्थन प्राप्त है. यह प्रस्ताव निरस्त्रीकरण पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन के बारे में बातचीत शुरू करने के लिए एक ऐसे सम्मेलन का आह्वान करता है जो किसी भी परिस्थिति में परमाणु हथियारों के उपयोग की धमकी या इनके उपयोग को रोकता है.
इसका मुख्य उद्देश्य यह है कि, कानूनी और सार्वभौमिक रूप से बाध्यकारी इस समझौते से विश्व स्तर पर आवश्यक राजनीतिक इच्छा का निर्माण होगा जोकि विश्व को परमाणु हथियारों के कुल उन्मूलन की ओर ले जाएगा.
परमाणु खतरे को कम करने के संकल्प के बारे में
यह संकल्प वर्ष 1998 में ही पेश किया गया था और यह परमाणु हथियारों के 'आकस्मिक या अनजाने में किये जाने वाले उपयोग' पर ध्यान केंद्रित करने के साथ-साथ परमाणु सिद्धांतों की समीक्षा की आवश्यकता को रेखांकित करता है.
परमाणु खतरे (न्यूक्लियर डेंजर) को कम करने का यह संकल्प ऐसे जोखिमों को कम करने के लिए सख्त और ठोस कदम उठाने के लिए अनुरोध करता है, जिसमें परमाणु हथियारों की ‘डी-टारगेटिंग एवं डी-अलर्टिंग’ प्रक्रिया भी शामिल है.
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