उत्तर प्रदेश में संगठित अपराध पर लगाम कसने के मकसद से लाए गए यूपीकोका विधेयक (UPCOCA Bill) को 27 मार्च 2018 को पारित कर दिया गया. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने यह विधेयक सदन में पेश किया, जिसे ध्वनिमत से पारित किया गया.
यूपीकोका विधेयक को इससे पहले भी सदन में पेश किया जा चुका है. पहली बार जब इस विधेयक को पेश किया गया था तब उसे विधानसभा से तो मंजूरी मिल गई थी, लेकिन विधान परिषद से विधेयक को मंजूरी नहीं मिल पाई थी. विधेयक को कानून का रूप देने के लिए अब केवल राज्यपाल के मंजूरी की जरूरी है.
यूपीकोका (UPCOCA) विधेयक की मुख्य बातें
• यूपीकोका कानून के तहत वसूली, किडनैपिंग, हत्या, हत्या की कोशिश समेत अन्य संगठित अपराध करने वालों के खिलाफ मामले दर्ज किए जाएंगे.
• इसे महाराष्ट्र के मकोका की तर्ज पर ही लाया गया है.
• यूपीकोका मामले के निपटारे के लिए राज्य सरकार विशेष अदालतों का गठन करेगी.
• फास्ट ट्रायल के उद्देश्य से विशेष अदालत का गठन किया जाएगा और अदालतों इनके लिए विशेष प्रबंध किए जायेंगे.
• कानून का गलत इस्तेमाल ना हो, इसलिए मामला दर्ज करने से पहले कमिश्नर और आईजी स्तर के अधिकारियों की स्वीकृति जरूरी होगी.
• यूपीकोका के तहत जरूरत पड़ने पर अपराधियों की संपत्ति भी जब्त की जा सकती है लेकिन कुर्की-जब्ती की कार्रवाई कोर्ट के आदेश के बाद ही किया जा सकता है.
• इसके अतिरिक्त जिन लोगों के खिलाफ यूपीकोका के तहत मामले दर्ज होंगे उन्हें सरकारी सुरक्षा मुहैया नहीं कराई जाएगी. इस कानून के तहत सजा के भी कठोर प्रावधान हैं.
टिप्पणी
इससे पूर्व दिसंबर 2017 में यह बिल विधानसभा से पास होकर विधानपरिषद में गया था तब वहां यह पास नहीं हो पाया था. संगठित अपराध रोकने के लिए यूपीकोका बिल आवश्यक समझा जा रहा है. संगठित अपराध राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय विषय है. इसका एक महत्व यह भी है कि यूपी की सीमाएं कई राज्यों से मिली हैं जबकि यूपी की बहुत बड़ी सीमा नेपाल से लगती है जो खुली हुई हैं. इन क्षेत्रों में आपराधिक घटनाएँ एवं अपराधियों का आना जारी रहता है. ऐसे में संगठित अपराध को रोकने के लिए यूपीकोका जरूरी है.
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