गंगा सफाई हेतु उत्तर प्रदेश सरकार ने नीदरलैंड सरकार के साथ समझौता किया. गंगा सफाई हेतु कानपुर में प्रोजेक्ट का शुभारम्भ 13 नवम्बर 2017 को किया गया. इस प्रोजेक्ट पर लगभग 8 मिलियन यूरो खर्च का अनुमान है.
नीदरलैंड के राजदूत अल्फांसस स्टोलिंगा और यूपी पर्यावरण विभाग के प्रमुख सचिव पर्यावरण रेणुका कुमार की मौजूदगी में 13 नवम्बर 2017 को लैंडमार्क होटल में एमओयू पर हस्ताक्षर किए गए. समझौता के अनुसार गंगा किनारे लगी टेनरियों को अब शिफ्ट करने की जरूरत नहीं होगी.
गंगा कुमारी देश में पहली ट्रांसजेंडर पुलिस कांस्टेबल बनी
नीदरलैंड की संस्था सोलिडेरिडेड इस परियोजना में वहां के सरकार की माध्यम बनी, जिसका दफ्तर एम्सटर्डम में स्थित है. प्रमुख सचिव रेणुका कुमार के अनुसार नमामि गंगे के तहत नीदरलैंड की टीम कानपुर की टेनरियों और गंगा पर काफी दिनों से शोध कर रही थी.
शोध के दरम्यान वैज्ञानिकों की टीम ने पाया कि टेनरियों को अत्याधुनिक तकनीक से सुसज्जित करके गंगा में क्रोम और किसी भी तरह के केमिकल को जाने से रोका जा सकता है.
टेनरियों में लगेंगे प्लांट-
पूरी तरह शुद्ध जल बनाने के लिए टेनरियों में संयंत्र लगाने का काम भी नीदरलैंड ही करेगा. इसके लिए यहां की केंद्र सरकार या स्थानीय इकाइयों से कोई रकम नहीं ली जाएगी.
पृष्ठभूमि-
नीदरलैंड सरकार ने डेनमार्क की सबसे प्रदूषित नदी राइन को पूरी तरफ साफ किया है. इसी के दृष्टिगत यह समझौता किया गया है. समझौता का प्रमुख तथ्य यह है कि टेनरियों को बंद या शिफ्ट करने की समस्या ही खत्म हो गई है.
विस्तृत current affairs हेतु यहाँ क्लिक करें
राइन नदी-
राइन नदी करीब सात सौ मील में फैली है. राइन नदी यूरोप के स्विटजरलैंड, ऑस्ट्रिया, जर्मनी, फ्रांस, हालैंड व न्यूजीलैंड आदि देशों में बहती है.
सेमिनार -
नमामि गंगे के सहयोग एक सेमिनार एक भी आयोजन किया गया. सेमिनार में मौजूद लोगों में जाजमऊ के टेनरिस के व्यापारी भी आमंत्रित किये गए. जिन्हे गंगा सफाई के प्रति सजग होने का सन्देश भी संस्था के लोगों ने दिया.
Comments
All Comments (0)
Join the conversation