संयुक्त राज्य अमेरिका ने कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई में भारत को 2.9 मिलियन अमरीकी डालर की सहायता देने की घोषणा की है. अमेरिकी सरकार द्वारा अंतर्राष्ट्रीय विकास के लिए अमेरिकी एजेंसी के माध्यम से 28 मार्च, 2020 को यह घोषणा की गई थी.
अमेरिकी दूतावास के अनुसार, यह घोषित सहायता राशि पिछले 20 वर्षों में भारत को अमेरिका द्वारा प्रदान की की गई निरंतर सहायता के आधार पर निर्धारित की गई है. यह घोषित सहायता अमेरिकी वैश्विक प्रतिक्रिया पैकेज का एक हिस्सा है, जिसके तहत संयुक्त राज्य अमेरिका विश्व के 64 देशों को 174 मिलियन डॉलर की वित्तीय सहायता प्रदान करेगा.
उद्देश्य:
• अमरीका द्वारा प्रदान किए गए इस फंड से भारत को नोवल कोरोना वायरस के प्रसार से निपटने में मदद मिलेगी. यह फंड स्थानीय समुदायों की देखभाल के लिए आवश्यक उपकरणों की व्यवस्था करने में मदद करेगा.
• इस सहायता राशि से बड़े पैमाने पर वायरस परीक्षण प्रयोगशालाओं को तैयार करने में भी मदद मिलेगी.
• सीमा प्रवेश स्थलों के लिए सार्वजनिक-स्वास्थ्य आपातकालीन योजनायें लागू की जायेंगी.
• वायरस परीक्षण के लिए स्वास्थ्य देखभाल पेशेवरों को प्रशिक्षित और सुसज्जित किया जाएगा.
• स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के लिए प्रशिक्षण सामग्री उपलब्ध करवाई जायेगी.
• संक्रमण के मामलों का पता लगाने के साथ ही महामारी आधारित निगरानी की सक्रियता को बढ़ाने में मदद मिलेगी.
अन्य देशों के लिए अमेरिका का योगदान
विश्व के इन 64 देशों के अलावा, अमेरिका ने आसियान देशों को लगभग 18.3 मिलियन डॉलर का सहायता पैकेज भी प्रदान किया है. स्वास्थ्य और मानवीय प्रतिक्रिया का विश्व प्रमुख होने के नाते, यह घोषित सहायता राशि व्यापक महामारी से लड़ने के लिए है.
इस फंड के तहत विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) जैसे संगठनों को भी 500,000 डॉलर की की सहायता प्रदान की जायेगी. इसमें अंतर्राष्ट्रीय विकास के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका एजेंसी (यूएसएआईडी) की स्वास्थ्य संवर्द्धन परियोजना के लिए 2.4 मिलियन डॉलर भी शामिल हैं जिसे JHPIEGO द्वारा लागू किया जा रहा है. यह एक अंतरराष्ट्रीय गैर-लाभकारी स्वास्थ्य संगठन है जो जॉन्स हॉपकिन्स विश्वविद्यालय से संबद्ध है.
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