अमेरिकी नियामकों ने 14 दिसम्बर 2017 को नेट न्यूट्रैलिटी कानून को वापस ले लिया है, जिसमें इंटरनेट सेवा प्रदाताओं के लिए सभी तरह की सामग्री को समान रूप से उपलब्ध कराना अनिवार्य था. फेडरल कम्युनिकेशन कमीशन (एफसीसी) ने रिपब्लिकन द्वारा नियुक्त भारतीय मूल के अमेरिकी नागरिक अजित पई के प्रस्ताव को वोटिंग में 3-2 से स्वीकार कर लिया.
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निर्णय का प्रभाव:
एफसीसी ने कहा कि कानूनी और आर्थिक विश्लेषण के बाद उसने वर्ष 2015 में आए कानून को पलटने का फैसला किया. उसके अनुसार इस कानून की वजह से इंटरनेट के पूरे इकोसिस्टम पर भारी आर्थिक बोझ पड़ रहा था. लेकिन आलोचकों का कहना है कि यह कदम इंटरनेट यूजर्स के हितों के खिलाफ है और बड़ी कॉरपोरेट कंपनियों का पक्ष लेता है.
नेट-न्यूट्रैलिटी:
पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा के कार्यकाल के दौरान 2015 में नेट-न्यूट्रैलिटी नियम लाया गया था. इसके मुताबिक इंटरनेट सेवा देने वाली सभी कंपनियों को बिना किसी भेदभाव के सभी लोगों तक इंटरनेट ट्रैफिक पहुंचाना था. नेट न्यूट्रैलिटी का सिद्धांत इंटरनेट के डेटा को सभी तरह के उपयोग में बराबरी का दर्जा देने पर आधारित है. इसका मतलब है कि इंटरनेट सेवा देने वाली कोई कंपनी किसी खास वेबसाइट या सेवा के लिए इंटरनेट की स्पीड न तो घटा और न ही बढ़ा सकती है.
अजीत पई:
• राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने जनवरी 2017 में सरकार में आने के बाद अजीत पई की एफ़सीसी चीफ़ के पद पर नियुक्ति की थी.
• डेमोक्रेट राष्ट्रपति बराक ओबामा के दौर में भी अजीत पई ने कभी भी नेट न्यूट्रैलिटी की गारंटी देने वाले क़ानून के प्रति अपना विरोध छुपाया नहीं था. वे रिपब्लिकन पार्टी के लिए रुझान रखते हैं.
• आप्रवासी भारतीय परिवार में पैदा हुए अजीत पई ने शिकागो यूनिवर्सिटी से क़ानून और हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से बिज़नेस एडमिनिस्ट्रेशन की पढ़ाई की है.
• अजीत पई का करियर अमरीकी सरकार और कॉरपोरेट वर्ल्ड दोनों में ही शानदार रहा है.
• फ़ेडरल कम्यूनिकेशन कमीशन में जाने से पहले अजीत पई अमरीकी न्याय विभाग में कई ज़िम्मेदारियां संभाल चुके थे.
पृष्ठभूमि:
कुछ दिन पहले दूरसंचार नियामक टेलिकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया (ट्राई) ने नेट न्यूट्रैलिटी (इंटरनेट की निरपेक्षता) का पूरी तरह समर्थन किया था. एक साल से ज्यादा समय तक विचार-विमर्श करने के बाद ट्राई ने नेट न्यूट्रैलिटी पर अपनी सिफारिशें जारी की थीं. इसके मुताबिक इंटरनेट का इस्तेमाल किसी कॉन्टेंट तक पहुंच में भेदभाव करने पर पूरी तरह पाबंदी लगाने के सिद्धांत पर आधारित होना चाहिए.
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