अमेरिका ने 04 जनवरी 2018 को पाकिस्तान से सभी प्रकार के सुरक्षा सहयोग को निलंबित करने की घोषणा की है, जिसके तहत पाकिस्तान को सैन्य उपकरण और वित्तीय सहायता प्रदान नहीं की जाएगी.
अमेरिका की ओर से पाकिस्तान को दी जाने वाली 7 हजार करोड़ की सैन्य मदद रोक दी गई है. अमेरिका ने कहा कि जब तक पाकिस्तान अफगान तालिबान और हक्कानी नेटवर्क जैसे आतंकी संगठनों के खिलाफ सख्त कार्रवाई नहीं करता, तब तक सैन्य मदद को पूरी तरह रोक दिया गया है.
यह पहली बार है जब पाकिस्तान को चेतावनी के साथ-साथ बड़ी सैन्य मदद से भी हाथ धोना पड़ा. इससे पहले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के पाकिस्तान को धोखेबाज करार देने के अमेरिका से पाकिस्तान को मिलने वाली 1,624 करोड़ रुपये की सैन्य सहायता पर रोक लगा दी थी.
अमेरिकी विदेश विभाग की प्रवक्ता हैदर नावर्ट ने कहा कि जब तक पाकिस्तान सरकार आतंकी समूहों के ख़िलाफ़ निर्णायक क़दम नहीं उठाती, तब तक उसे सैन्य सहायता नहीं दी जाएगी.
अमेरिका ने पाकिस्तान को धार्मिक स्वतंत्रता के गंभीर उल्लंघनों को लेकर विशेष निगरानी सूची में डाला है. पाकिस्तान इस सूची में शामिल होने वाला पहला देश है. इस श्रेणी को वर्ष 2016 के एक विशेष कानून द्वारा बनाया गया है. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पाकिस्तान पर झूठ बोलने और आतंकियों को पनाह देने के आरोप लगाए थे.
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा की पिछले 15 वर्षों में 33 अरब डॉलर की सहायता राशि के बदले में उसने अमेरिका को सिर्फ ‘झूठ और छल’ दिया है साथ आतंकवादियों को सुरक्षित पनाह दी है.
इस राशि में प्रमुख रूप से वित्त वर्ष 2016 के लिए विदेशी सैन्य अनुदान (एफएमएफ) में दिए जाने वाले 25 करोड़, 50 लाख डॉलर की राशि शामिल हैं, जिसे कांग्रेस ने अनिवार्य बना दिया था. इसके अतिरिक्त रक्षा मंत्रालय ने वित्त वर्ष 2017 के लिए पाकिस्तान को दी जाने वाली गठबंधन सहायता निधि (सीएसएफ) 90 करोड़ डॉलर पर भी रोक लगा दी है.
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