अमेरिकी दवा कंपनी मायलन और बेंगलुरु की कंपनी बायोकॉन की साझेदारी के तहत निर्मित कैंसर रोधी दवा को लेकर गतिरोध समाप्ति की ओर है. अमेरिकी फ़ूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एफडीए) ने 01 दिसंबर 2017 को बायोसिमिलर दवा ट्रैस्टिजमाब को मार्केटिंग मंजूरी प्रदान की.
ओगिवरी ब्रांड के नाम वाली यह दवा ब्रेस्ट कैंसर के इलाज में इस्तेमाल होने वाली स्विस दवा कंपनी रोश की दवा का एक रूप है. बायोसिमिलर दवाएं बहुत ही जटिल बायोलॉजिकल दवाओं की कॉपी होती हैं. बायोसिमिलर दवाओं का असर मूल दवा जैसा ही होता है. विश्व भर में प्रत्येक वर्ष 3.16 अरब डॉलर की सेल्स वाली ट्रैस्टिजमाब की बिक्री 2020 तक 10 अरब डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है.
भारत में इसका असर
अमेरिकी एफडीए के इस निर्णय से भारत में ब्रेस्ट कैंसर की इस दवा की कीमत में कमी आएगी तथा यह लोगों की पहुंच तक बन सकेगी. जहां लोगों को कैंसर इलाज में भारी पैसे खर्च करने पड़ते हैं वहीँ यह दवा खर्च में कमी के लिए विकल्प प्रदान करेगी.
एफडीए कमिश्नर स्कॉट गॉटलिब ने कहा, 'एफडीए बड़ी संख्या में बायोसिमिलर दवाओं को मंजूरी दे रहा है जिससे कॉम्पिटिशन को बढ़ावा मिले और हेल्थकेयर की लागत में कमी आए. हम हमारे लिए बड़ी बात है क्योंकि कैंसर जैसी बिमारियों की दवा बहुत महंगी पड़ती हैं.'
दवाओं के क्षेत्र के विशेषज्ञों के अनुसार भारतीय बाज़ार ने कंपनी की दवा को मंजूरी मिलने का अनुमान महीनों पहले लगा लिया था. उन्होंने कहा कि अब कंपनी के शेयरों में तेज उछाल आ सकता है. बायोकॉन की एमडी किरण मजूमदार शॉ ने कहा, 'हमारे बायोसिमिलर ट्रैस्टिजमाब को मिला अमेरिकी एफडीए का अप्रूवल असल में हमारे लिए सबसे बड़ा पल है, जिसने हमें ग्लोबल बायोसिमिलर प्लेयर्स की कतार में ला खड़ा किया है. इससे कैंसर के सस्ते इलाज वाले बायोलॉजिक के डिवेलपमेंट पर फोकस करने की हमारी प्रतिबद्धता को मजबूत बनाता है. यह ऐसी एडवांस्ड थेरेपी डिवेलप करने की हमारी यात्रा का अहम मील का पत्थर है जो दुनिया के करोड़ों अरबों मरीजों को फायदा दिला सकती है.'
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