उत्तर प्रदेश कैबिनेट ने 13 दिसम्बर 2017 को संगठित अपराध से निपटने के लिए ‘उत्तर प्रदेश कंट्रोल ऑफ ऑर्गेनाइज्ड क्राइम एक्ट’ (यूपीकोका) विधेयक को मंजूरी दी. यह बैठक उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में हुई.
रिपोर्ट के मुताबिक योगी आदित्यनाथ ने यूपीकोका को महाराष्ट्र कंट्रोल ऑफ ऑर्गेनाइज्ड क्राइम की तर्ज पर भू माफिया, खनन माफिया और गुंडों से निपटने के लिए बनाया है. इसके तहत राज्य स्तर पर प्रधान सचिव (गृह) के तहत संगठित अपराध नियंत्रण प्राधिकरण बनाया जाएगा. वहीं जिला स्तर पर जिलाधिकारी इसके प्रमुख होंगे.
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इससे संबंधित मुख्य तथ्य:
• इस विधेयक के जरिए पुलिस को दोषी अपराधियों की संपत्ति जब्त करने का भी अधिकार दिया जाएगा. इसके साथ यूपीकोका अदालतों का भी गठन किया जाएगा.
• उत्तर प्रदेश विधानसभा ने वर्ष 2008 में भी यूपीकोका कानून पारित किया था, लेकिन वह लागू नहीं हो पाया था, क्योंकि तत्कालीन राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने इसे मंजूरी नहीं दी थी.
• यूपीकोका में सात साल से लेकर उम्रकैद और फांसी तथा 15 लाख से लेकर 25 लाख रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान किया गया है. यूपीकोका में इसका भी प्रावधान किया गया है कि गवाह अगर चाहे तो उसका नाम गुप्त रखा जाएगा.
• यूपीकोका के मुकदमों की सुनवाई हेतु कई स्पेशल कोर्ट का गठन होगा. यूपीकोका कोर्ट को अधिकार होगा कि वह उसके यहां चलने वाले मुकदमों की मीडिया कवरेज पर रोक लगा सके.
• यूपीकोका के मामलों की पैरवी सरकारी वकील कर पाएंगे, जिनकी कम से कम 10 साल की अनुभव हो जबकि अभियोजन अधिकारियों हेतु सात साल के अनुभव की सीमा रखी गई है.
• वे लोग जिनके खिलाफ जमीन पर अवैध कब्जा, अवैध खनन, गौ तस्करी, मानव तस्करी, ड्रग्स तस्करी, आतंकी गतिविधियां, शराब तस्करी, फिरौती हेतु अपहरण जैसे संगठित अपराधों में लिप्त, इस तरह के अपराध के दो मुकदमों में कोर्ट में आरोप तय हो चुके हों और गैंग में दो या उससे ज्यादा लोग हों, उन पर यूपीकोका के तहत मुकदमा दर्ज होगा.
• यूपीकोका में सभी सरकारी, अर्द्धसरकारी और सार्वजनिक उपक्रमों के ठेकों को ई-टेंडरिंग के तहत करने की धारा शामिल की गई है. पुलिस-प्रशासन के पास यूपीकोका के तहत ठेकों को निरस्त करने की पावर होगी.
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