उत्तराखंड त्रासदी: आखिर क्या है ग्लेशियर टूटने का कारण, जानें इसके बारे में सबकुछ

Feb 8, 2021, 12:13 IST

ग्लेशियर के टूटने से भयंकर बाढ़ आ सकते हैं. ग्लेशियर के बर्फ टूटकर झीलों में फिर उसका अत्यधिक पानी नदियों में बाढ़ लाता है.

Uttarakhand glacier burst What is glacial outburst and why does it happen in Hindi
Uttarakhand glacier burst What is glacial outburst and why does it happen in Hindi

उत्तराखंड के चमोली में हाल ही में सात साल बाद एक बार फिर कुदरत का कहर टूटा है. ग्लेशियर फटने से भारी तबाही हुई है. चमोली के रेणी गांव के पास ग्लेशियर टूटने से 150 से ज्यादा लोग बह गए हैं. ये सभी लोग ऋषि गंगा पावर प्रोजेक्ट में काम कर थे.

धौली गंगा नदी में अचानक जलस्तर बढ़ने से तेज बहाव के कारण इन लोगों के लापता होने की आशंका है. इतना ही नहीं, कई पुल भी टूट गए हैं और कई गांवों का संपर्क भी टूट गया है. राज्य सरकार ने इस घटना के मद्देनजर श्रीनगर, ऋषिकेश, अलकनंदा समेत अन्य इलाकों के लिए अलर्ट जारी किया है.

प्रशासन लगातार लोगों को खतरे वाली जगहों से सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने में जुटा हुआ है. बड़े पैमाने पर जान-माल के नुकसान की आशंका जताई जा रही है. ग्लेशियर के बर्फ टूट कर धौलगंगा नदी में बह रहे हैं. ऐसे में यह जानना बेहद जरूरी है कि आखिरकार ग्लेशियर कैसे और क्यों फटता है?

क्या होता है ग्लेशियर फटना?

सालों तक भारी मात्रा में बर्फ जमा होने और उसके एक जगह एकत्र होने से ग्लेशियर का निर्माण होता है. 99 प्रतिशत ग्लेशियर आइस शीट के रूप में होते हैं. इसे महाद्वीपीय ग्लेशियर भी कहा जाता है. यह अधिकांशत: ध्रुवीय क्षेत्रों या बहुत ऊंचाई वाले पहाड़ी क्षेत्रों में होता है. हिमालयी क्षेत्रों में भी ऐसे ही ग्लेशियर पाए जाते हैं. किसी भू-वैज्ञानिक हलचल की वजह से जब इसके नीचे गतिविधि होती है तब यह टूटता है. कई बार ग्लोबल वार्मिंग के कारण से भी ग्लेशियर के बर्फ पिघल कर बड़े-बड़े बर्फ के टुकड़ों के रूप में टूटने लगते हैं. यह प्रक्रिया ग्लेशियर फटना या टूटना कहलाता है.

ग्लेशियर कितने प्रकार के होते हैं?

ग्लेशियर बर्फ के एक जगह जमा होने  के कारण बनता है. ये दो प्रकार के होते हैं. पहला अल्‍पाइन ग्‍लेशियर और दूसरा आइस शीट्स. जो ग्लेशियर पहाड़ों पर होते हैं वह अल्‍पाइन कैटेगरी में आते हैं.

क्या प्रभाव हो सकता है ग्लेशियर फटने से?

ग्लेशियर के टूटने से भयंकर बाढ़ आ सकते हैं. ग्लेशियर के बर्फ टूटकर झीलों में फिर उसका अत्यधिक पानी नदियों में बाढ़ लाता है. इससे आसपास के इलाकों में भंयकर तबाही, बाढ़ और जानमाल का नुकसान होता है. मौजूदा घटना से उत्तराखंड के देवप्रयाग, कर्णप्रयाग, श्रीनगर, ऋषिकेश को सबसे ज्यादा खतरा पहुंचने की आशंका है. यह हादसा बद्रीनाथ और तपोवन के बीच हुआ है. राज्य के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने दो पुल के बहने की पुष्टि की है.

दूसरी सबसे बड़ी त्रासदी

लगभग साढ़े सात साल पहले 16 जून 2013 में केदारनाथ में ऐसी ही तबाही हुई थी. जून 2013 में बादल फटने और ग्लेशियर टूटने की वजह से भीषण बाढ़ आई और भूस्खलन हुआ. लगभग 5700 लोगों की मौत हुई थी. इस दौरान लगभग तीन लाख लोग फंस गए थे. उसके बाद राज्य में यह दूसरी सबसे बड़ी त्रासदी है.

Vikash Tiwari is an content writer with 3+ years of experience in the Education industry. He is a Commerce graduate and currently writes for the Current Affairs section of jagranjosh.com. He can be reached at vikash.tiwari@jagrannewmedia.com
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