Gyanvapi Case Verdict: वाराणसी की जिला कोर्ट ने ज्ञानवापी मस्जिद-श्रृंगार गौरी मंदिर मामले में सुनवाई करते हुए फैसला हिंदू पक्ष के याचिकाकर्ताओं के पक्ष में सुनाया है. जिला न्यायालय के न्यायाधीश अजय कृष्णा विश्वेश ने यह फैसला दिया है. फैसले में उन्होंने ज्ञानवापी मस्जिद मामलें को सुनवाई योग्य ठहराया है. उन्होंने श्रृंगार गौरी मंदिर में पूजन-दर्शन की अनुमति की मांग वाली याचिका को सुनवाई के योग्य माना है.
वाराणसी जिला और सत्र न्यायालय ने सोमवार को अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद समिति द्वारा दायर याचिका को ख़ारिज कर दिया है. यह याचिका ज्ञानवापी मस्जिद और उसके आसपास की भूमि से सम्बंधित थी. हिन्दू पक्ष की ओर से पांच हिंदू महिलाओं ने काशी विश्वनाथ मंदिर के बगल में स्थित मस्जिद परिसर की बाहरी दीवार पर मां श्रृंगार गौरी की पूजा के अधिकार की मांग करते हुए यह याचिका दायर की थी.
Gyanvapi case: Varanasi court upholds maintainability of Hindu side's petition, next hearing on Sep 22
— ANI Digital (@ani_digital) September 12, 2022
Read @ANI Story | https://t.co/nshw6V3ASU#GyanvapiMosque #GyanvapiVerdict #Gyanvapi #VaranasiCourt pic.twitter.com/SqgUqdhzG8
क्या आया फैसला?
कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि इस मामलें में 1991 का प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट लागू नहीं होता है. हिंदू पक्ष के वकील हरिशंकर जैन ने बताया की न्यायालय ने मुस्लिम पक्ष के सभी दावों को खारिज कर दिया है. जिला न्यायाधीश एके विश्वेश ने जून में मस्जिद से सम्बंधित याचिकाओं पर सुनवाई शुरू की थी.इस मामले में मीडिया को कार्यवाही देखने की अनुमति नहीं दी गई थी. कोर्ट ने श्रृंगार गौरी मंदिर में पूजन-दर्शन की अनुमति की मांग वाली याचिका को सुनवाई के योग्य माना है. इस मामले की अगली सुनवाई 22 सितम्बर को होगी.
सुप्रीम कोर्ट ने जिला कोर्ट को सौंपी थी जिम्मेदारी:
माननीय उच्चतम न्यायालय ने 20 मई को दीवानी मुकदमे में शामिल मुद्दों सम्बंधित जटिलताओं को देखते हुए ज्ञानवापी विवाद को जिला न्यायाधीश, सिविल जज (सीनियर डिवीजन), वाराणसी के समक्ष स्थानांतरित कर दिया था.
जुलाई में, सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि हिन्दू पक्ष द्वारा दायर याचिका पर, मस्जिद समिति के आवेदन पर वाराणसी जिला अदालत के फैसले का इंतजार करेगा. जस्टिस D.Y चंद्रचूड़, सूर्यकांत और P.S नरसिम्हा की पीठ ने मामले को 20 अक्टूबर तक के लिए स्थगित कर दिया था.
क्या है मामला?
18 अगस्त 2021 को हिन्दू पक्ष ने काशी विश्वनाथ मंदिर के बगल में स्थित ज्ञानवापी मस्जिद परिसर की बाहरी दीवार पर मां श्रृंगार गौरी की पूजा के अधिकार की अनुमति मांगी थी. इसके तहत पांच हिंदू महिलाओं ने याचिका दायर की थी. हिंदू पक्ष ने कहा कि मस्जिद एक मंदिर के स्थान पर बनाई गई थी, मुस्लिम पक्ष ने तर्क दिया कि मस्जिद वक्फ परिसर में बनाई गई थी, और पूजा स्थल अधिनियम के तहत मस्जिद के स्वरुप को बदलने पर रोक लगा दी थी.
क्या है 'पूजा स्थल' अधिनियम?
यह अधिनियम वर्ष 1991 में आया था, पूजा स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम 1991 के तहत कहा गया है कि 15 अगस्त 1947 तक अस्तित्व में आए किसी भी धर्म के पूजा स्थल को एक धर्म से दूसरे धर्म में परिवर्तित करने या किसी स्मारक के धार्मिक आधार पर रखरखाव रोक रहेगी. यह एक्ट 18 सितंबर, 1991 को पारित किया गया था.
मुस्लिम पक्ष की प्रतिक्रिया:
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य मौलाना खालिद राशिद फिरंगी महल ने एक बयान जारी कर कहा कि इस पूरे फैसले को पढ़ा जाएगा और उसके बाद ही आगे क्या करना है, ये तय किया जायेगा. साथ ही उन्होंने कहा कि हमारी लीगल टीम इस पूरे फैसले का अध्ययन करेगी उसके बाद हम आगे का निर्णय लेंगे.
Comments
All Comments (0)
Join the conversation