चंद्रयान-2: इसरो ने चांद पर खोज निकाला विक्रम लैंडर, सरफेस पर सुरक्षित दिखा

Sep 9, 2019, 14:43 IST

लैंडर ‘विक्रम’ चांद की सतह पर अपनी निर्धारित स्थान से पांच सौ मीटर की दूरी पर दिखाई दिया है. चांद के चक्कर काट रहे ऑर्बिटर ने लैंडर की थर्मल तस्वीर भेजी है. इसरो अध्यक्ष के. सिवन ने यह जानकारी दी है.

orbiter chandrayaan-2
orbiter chandrayaan-2

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) को चांद पर विक्रम लैंडर की स्थिति का पता चल गया है. ऑर्बिटर ने थर्मल इमेज कैमरा से उसकी तस्वीर ली है. हालांकि, उससे अभी तक कोई संचार स्थापित नहीं हो पाया है.

इसरो के अनुसार, 'विक्रम' सुरक्षित है और कोई भी टूट-फूट नहीं हुई है. हालांकि, इसरो लैंडर के साथ संचार को फिर से स्थापित करने का प्रयास कर रहा है. तस्वीर से यह साफ हो गया है कि यह टूटा नहीं है. तस्वीर में विक्रम लैंडर एक टुकड़े में अर्थात साबुत दिख रहा है.

लैंडर ‘विक्रम’ चांद की सतह पर अपनी निर्धारित स्थान से पांच सौ मीटर की दूरी पर दिखाई दिया है. चांद के चक्कर काट रहे ऑर्बिटर ने लैंडर की थर्मल तस्वीर भेजी है. इसरो अध्यक्ष के. सिवन ने यह जानकारी दी है.

इसरो प्रमुख ने कहा है कि चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर में लगे कैमरों ने लैंडर के भीतर प्रज्ञान रोवर के होने की भी पुष्टि की है. इसरो के अनुसार, वैज्ञानिक लगातार डेटा का विश्लेषण कर रहे हैं और ‘विक्रम’ से संपर्क बनाने की लगातार कोशिश की जा रही है. इसके लिए आने वाले 12 दिन काफी महत्वपूर्ण साबित होने वाले हैं.

विक्रम लैंडर में ऑनबोर्ड कम्प्यूटर है. यह स्वयं ही कई काम कर सकता है. विक्रम लैंडर के गिरने से वह एंटीना दब गया है जिसके तहत कम्युनिकेशन सिस्टम को कमांड भेजा जा सकता था. इसरो वैज्ञानिक अभी यह कोशिश कर रहे हैं कि किसी तरह उस एंटीना के जरिए विक्रम लैंडर को वापस अपने पैरों पर खड़ा होने का कमांड दिया जा सके.

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अनुसार लैंडर ‘विक्रम' चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव की तरफ बढ़ रहा था और उसकी सतह को छूने से मात्र कुछ सेकंड ही दूर था तभी 2.1 किलोमीटर की ऊंचाई रह जाने पर उसका जमीन से संपर्क टूट गया.

ऑर्बिटरः

चंद्रयान-2 का ऑर्बिटर चांद से 100 किमी ऊपर स्थापित किया गया. ऑर्बिटर' में आठ पेलोड, तीन लैंडर और दो रोवर है. यह चक्कर लगाते हुए लैंडर और रोवर से प्राप्त जानकारी को इसरो सेंटर पर भेजेगा. विक्रम एवं ऑर्बिटर दोनों में ही हाई रिजोल्‍यूशन कैमरे लगे हुए हैं. ऑर्बिटर एक वर्ष तक चांद के चक्‍कर लगाता रहेगा. वह इस दौरान थर्मल इमेजेज कैमरे की सहायता से चांद की थर्मल इमेज भी लेगा और इसको धरती पर इसरो के मिशन कंट्रोल रूम को भेजता रहेगा.

चंद्रयान-2 क्या है?

चंद्रयान-2 एक अंतरिक्ष यान है. इसके तीन सबसे महत्वपूर्ण हिस्से लैंडर, ऑर्बिटर और रोवर हैं. चंद्रयान-2 दस साल के भीतर भारत का चंद्रमा पर भेजा जाने वाला दूसरा अभियान है. चंद्रयान-2 का वजन 3,877 किलोग्राम है. इसरो ने पहले सफल चंद्रमा मिशन - चंद्रयान-1 का प्रक्षेपण किया था जिसने चंद्रमा के 3,400 चक्कर लगाए थे. चंद्रयान-1 (29 अगस्त 2009 तक) 312 दिनों तक काम करता रहा था. यह चंद्रयान-1 मिशन से लगभग तीन गुना ज्यादा है.

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Vikash Tiwari is an content writer with 3+ years of experience in the Education industry. He is a Commerce graduate and currently writes for the Current Affairs section of jagranjosh.com. He can be reached at vikash.tiwari@jagrannewmedia.com
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