वर्जिन ग्रुप और महाराष्ट्र सरकार द्वारा मुंबई-पुणे को हाइपरलूप से जोड़ने हेतु 18 फरवरी 2018 को एक समझौते पर हस्ताक्षर किए गए. यदि इस समझौते की कार्ययोजना को मूर्त रूप दिया गया तो यह विश्व की अग्रणी हाइपरलूप परियोजना होगी.
गौरतलब है कि पिछले वर्ष केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने टेस्ला को महाराष्ट्र में हाइपरलूप ट्रायल के लिए न्योता दिया था.
मुंबई-पुणे हाइपरलूप का महत्व
• मुंबई और पुणे की बीच की दूरी करीब 150 किलोमीटर है जिसे हाइपरलूप के शुरू होने से 14-24 मिनट में तय किया जा सकेगा.
• इस प्रस्तावित हाइपरलूप परिवहन प्रणाली से पूरी परिवहन प्रणाली में बदलाव आएगा और महाराष्ट्र इस क्षेत्र में विश्व स्तर पर उदाहरण बनेगा.
• इससे हजारों रोजगार के अवसरों का सृजन होगा. इस परियोजना का सामाजिक आर्थिक लाभ 55 अरब डॉलर का होगा.
• हाइपरलूप रूट में पूरी तरह इलेक्ट्रिक प्रणाली होगी और इसमें प्रति घंटे 1,000 किलोमीटर तक दौड़ने की क्षमता होगी.
• पहला हाइपरलूप रूट सेंट्रल पुणे को मेगा पोलिस के साथ-साथ नवी मुंबई इंटरनेशनल एयरपोर्ट से जोड़ेगा.
• बताया जा रहा है कि इसमें हर साल 15 करोड़ यात्री सफर कर पाएंगे.
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अन्य हाइपरलूप परियोजनाएं
इससे पहले आंध्र प्रदेश सरकार ने विजयवाड़ा और अमरावती शहरों को हाइपरलूप से जोड़ने के लिए अमेरिकी कंपनी हाइपरलूप ट्रांसपोर्टेशन टेक्नॉलजीज (एचटीटी) समझौता किया था. दोनों शहरों के बीच की एक घंटे की यात्रा घटकर केवल 5-6 मिनट की रह जाएगी. मौजूदा समय में समय सयुंक्त अरब अमीरात, अमेरिका, कनाडा, फिनलैंड और नीदर लैंड में भी हाइपरलूप पर काम हो रहा है.
क्या है हाइपरलूप?
हाइपरलूप टेस्ला के संस्थापक एलन मस्क के दिमाग की उपज है, जिन्होंने साल 2013 में एक वाइटपेपर के रूप में हाइपरलूप की बेसिक डिजाइन से दुनिया को रू-ब-रू किया था. हाइपरलूप एक ट्यूब ट्रांसपॉर्ट टेक्नॉलजी है. इसके तहत खंभों के ऊपर (एलिवेटेड) ट्यूब बिछाई जाती है. इसके भीतर बुलेट जैसी शक्ल की लंबी सिंगल बोगी हवा में तैरते हुए चलती है. वैक्यूम ट्यूब में कैपसूल को चुंबकीय शक्ति से दौड़ाया जाता है. बिजली के अलावा इसमें सौर और पवन ऊर्जा का भी उपयोग हो सकता है. इसमें बिजली का खर्च बहुत कम है और प्रदूषण बिल्कुल नहीं है.
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