चंद्रयान-1 और चंद्रयान-2 में क्या है अंतर, जाने विस्तार से

Sep 7, 2019, 14:36 IST

इसरो के चीफ के. सिवन ने कहा था, आखिरी के 15 मिनट बेहद महत्वपूर्ण होंगे. इनमें से करीब 13 मिनट तक सबकुछ ठीक था, लेकिन अंतिम के 90 सेकंड में जो हुआ उससे चांद पर सफलतापूर्वक पहुंचने का सपना अधूरा रह गया.

chandrayaan 2 in hindi
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चंद्रयान-2 के आखिरी चरण में भारत के मून लैंडर विक्रम से उस समय संपर्क टूट गया था जब वह चंद्रमा की सतह की ओर बढ़ रहा था. इसरो के मुताबिक, रात 1:37 बजे लैंडर की चांद पर ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ की प्रक्रिया शुरू हो गई थी. लेकिन लगभग 2.1 किमी ऊपर संपर्क टूट गया था.

इसरो के चीफ के. सिवन ने कहा था, आखिरी के 15 मिनट बेहद महत्वपूर्ण होंगे. इनमें से करीब 13 मिनट तक सबकुछ ठीक था, लेकिन अंतिम के 90 सेकंड में जो हुआ उससे चांद पर सफलतापूर्वक पहुंचने का सपना अधूरा रह गया.

चंद्रयान-1 और चंद्रयान-2 में अंतर

चंद्रयान-1: चंद्रयान-1 चांद की सतह पर कदम नहीं रखा था. चंद्रयान-1 312 दिन के अपने मिशन में चंद्रमा के 3400 से ज्यादा चक्कर लगाए थे. चंद्रयान-1  परिक्रमा के दौरान जब चांद के सबसे नजदीक पहुंचा था, तब सतह से उसकी दूरी 100 किलोमीटर के लगभग थी. पीएसएलवी-सी11 रॉकेट से अंतरिक्ष की उड़ान भरने वाले ‘चंद्रयान-1’ का वजन 1380 किलोग्राम था.

चंद्रयान-1: चंद्रयान-1 चांद के उत्तरी ध्रुव पर बर्फ के रूप में पानी के अतिरिक्त मैग्नीशियम, एल्युमिनियम और सिलिकॉन की मौजूदगी का खुलासा किया, हालांकि पानी कितनी मात्रा में मौजूद यह नहीं पता लगा पाया था. चंद्रयान-1 ग्यारह वैज्ञानिक उपकरणों से लैस था, जिनमें से पांच भारतीय थे, जबकि तीन यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी, दो नासा तथा एक बुल्गेरियन अकेडेमी ऑफ साइंस के वैज्ञानिकों ने तैयार किया था.

चंद्रयान-2 मिशन लैंडर ‘विक्रम’ चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरता. इसमें मौजूद रोवर ‘प्रज्ञान’ एक चंद्र दिवस (पृथ्वी के 14 दिन के बराबर) के अपने मिशन में चांद पर चहलकदमी कर जानकारी एकत्रित करता. जीएसएलवी-एमके3 रॉकेट से प्रक्षेपित यह यान चंद्रयान-1 से करीब तीन गुना भारी,  3850 किलोग्राम वजन का था.

चंद्रयान-2: चंद्रयान-2 चंद्रमा की सतह पर कितना पानी उपलब्ध है. क्या यह पानी भविष्य में इंसान के उपयोग लायक है, इसकी जानकारी देता, खनिजों की मौजूदगी सर्च करने के साथ ही बाहरी वातावरण का भी अध्ययन करता. चंद्रयान-2 ऑर्बिटर में लगे आठ उपकरण चंद्रमा की सतह तथा एक्सोस्फीयर की मैपिंग करते, जबकि लैंडर में मौजूद तीन उपकरण सतह की जैविक संरचना की जांच करते, रोवर के दो उपकरण मिट्टी के नमूने जुटाने की प्रयत्न करते.

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Vikash Tiwari is an content writer with 3+ years of experience in the Education industry. He is a Commerce graduate and currently writes for the Current Affairs section of jagranjosh.com. He can be reached at vikash.tiwari@jagrannewmedia.com
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