अमेरिका और ईरान के बीच तनाव बढ़ता हुआ दिखाई दे रहा है. अमेरिका ने इराक की राजधानी बगदाद में स्थिति ‘अमेरिकी दूतावास’ पर हुए हमले के बाद बहुत सख्त कार्रवाई की है. अमेरिकी सेना द्वारा ईरान के जनरल कासिम सुलेमानी को मार गिराए जाने के बाद ईरान और अमेरिका के बीच तनाव काफी बढ़ गया है.
अमेरिका और ईरान का असर विश्व के बाकी देशों पर भी दिखाई दे रहा है. भारत मध्य पूर्वी एशिया पर बहुत ज्यादा निर्भर है. यदि इस क्षेत्र में तनाव बढ़ता है तो भारत के व्यापार के साथ तेल आयात भी प्रभावित होगा. इस वजह से भारत की चिंता भी काफी हद तक बढ़ गई है.
क्रूड क्यों महंगा हुआ?
अमेरिका एवं ईरान के बीच तनाव बढ़ने से कच्चे तेल की सप्लाई में कमी आ सकती है. इसीलिए क्रूड के दाम बढ़ गए है. ग्लोबल फाइनेंशियल सर्विसेज कंपनी नोमुरा के अनुमान के अनुसार, कच्चे तेल की कीमतों में 10 डॉलर प्रति बैरल की बढ़ोतरी से भारत के राजकोषीय घाटे तथा करंट अकाउंट बैलेंस पर असर पड़ेगा.
भारत पर क्या होगा असर?
तेल के दामों में बढ़ोतरी: सरकारी आंकड़ों अनुसार भारत ने पिछले वित्त वर्ष में अपनी जरूरत के लिए 84 फीसदी कच्चा तेल ईरान से आयात किया था. इस प्रकार कुल आयात तेल के प्रत्येक तीन में से दो बैरल तेल ईरान से आयात होता है. यदि अमेरिका और ईरान के बीच तनाव इसी तरह जारी रहता है तो इसका सीधा असर तेल के दामों पर पड़ेगा.
वित्तीय घाटा और भी बढ़ सकता है: अमेरिका और ईरान के बीच तनाव बरकरार रहता है, तो तेल की कीमतों में बढ़ोतरी होगी. इसका नतीजा यह होगा कि भारत को तेल के लिए ज्यादा रकम चुकानी होगी. इससे भारत सरकार के वित्तीय घाटा और भी ज्यादा सकता है.
बढ़ सकती है महंगाई: अमेरिका और ईरान के बीच तनाव बरकरार रहने से तेल की कमी हो सकती है. तेल की कमी होने से इसकी मौजूदा कीमतों में वृद्धि होगी. इसका नतीजा यह होगा है कि उपभोक्ता वस्तुओं की कीमतें भी तेजी से बढ़ेंगी. इस वजह से देश में महंगाई बढ़ जाएगी.
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चाबहार पोर्ट में करोड़ों डॉलर का निवेश: भारत ने ईरान के चाबहार पोर्ट में करोड़ों डॉलर का निवेश कर रखा है. भारत का प्रयास है कि ईरान के रास्ते अफगानिस्तान तक सीधा संपर्क स्थापित किया जा सके. इसके लिए भारत ईरान से अफगानिस्तान तक सड़क बनाने में सहायता कर रहा है. चाबहार के कारण भारत अपने माल को रूस, तजकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान, कजकिस्तान तथा उजेबकिस्तान भेज पा रहा है. इससे भारत के व्यापार में लगातार वृद्धि हो रही है. भारत ने साल 2002 में चाबहार बंदरगाह के विकास की नींव रखी थी.
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