डब्ल्यूएचओ ने पहली आवश्यक डायग्नोस्टिक सूची जारी की

May 18, 2018, 09:03 IST

इसका उद्देश्य डायग्नोस्टिक सेवाओं तक पहुंचने में लोगों की अक्षमता को दूर करना है, जिसके परिणामस्वरूप उन्हें सही उपचार प्राप्त हो सके. यह सूची डब्ल्यूएचओ की आवश्यक दवा सूची (ईएमएल) के समान है.

WHO publishes its first Essential Diagnostics List
WHO publishes its first Essential Diagnostics List

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने आम रोगों और प्राथमिकता वाले रोगों के निदान के लिए आवश्यक परीक्षणों की एक सूची 'आवश्यक डायग्नोस्टिक सूची' (essential diagnostic list) प्रकाशित की है. यह डब्ल्यूएचओ द्वारा जारी की गई इस तरह की पहली सूची है.

सूची में विभिन्न प्रकार के डायग्नोस्टिक्स के लिए लागू डब्ल्यूएचओ दिशानिर्देशों की जानकारी भी शामिल है और बताया गया है कि किसी विशेष श्रेणी में डब्ल्यूएचओ प्रीक्वॉलीफाइड उत्पाद उपलब्ध हैं या नहीं.

उद्देश्य

इसका उद्देश्य डायग्नोस्टिक सेवाओं तक पहुंचने में लोगों की अक्षमता (inability) को दूर करना है, जिसके परिणामस्वरूप उन्हें सही उपचार प्राप्त हो सके. लोगों तक निदान सेवाओं की पहुंच नहीं होना एक समस्या है जिसके कारण उन्हें सही उपचार नहीं मिल पाता. इस समस्या का समाधान निकालने के लिए यह कदम उठाया गया है.

यह सूची डब्ल्यूएचओ की आवश्यक दवा सूची (ईएमएल) के समान है, जिसे 1977  से हर दो साल में बदला जाता है. यह सूची महत्वपूर्ण दवाओं के खरीद निर्णय लेने के लिए दुनिया भर के स्वास्थ्य प्राधिकरणों द्वारा संदर्भ के रूप में उपयोग की जाती है.


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घोषणा की मुख्य विशेषताएं

•    आवश्यक निदान परीक्षण में रक्त और मूत्र परीक्षण समेत 58 परीक्षण शामिल हैं.

•    अन्य 55 परीक्षणों में एचआईवी, टीबी, मलेरिया, हेपेटाइटिस बी और सी आदि का पता लगाने और जांच करने को शामिल किया गया है.

•    आवश्यक निदान परीक्षण सूची में रक्त जांच और मूत्र परीक्षण आदि पर जोर दिया गया है.

•    प्राथमिक बीमारियां जैसे ट्यूबरक्युलोसिस,मलेरिया, एचआईवी, हेपेटाइटिस बी और सी, सिफिलिस और मानव पेपिलोमावायरस की पहचान, निदान और निगरानी हेतु 55 परीक्षण होते हैं.

•    इस संबंध में डब्ल्यूएचओ नियमित आधार पर सूची अपडेट करेगा और अगले संस्करण में श्रेणियों (categories) को जोड़ने हेतु आवेदन जारी करेगा.

क्यों आवश्यक है?

विश्व निकाय की ओर से जारी एक वक्तव्य में कहा गया कि एक अनुमान के मुताबिक, दुनियाभर में टाइप 2 डायबिटीज से पीड़ित 46 फीसदी वयस्क लोगों के रोग का निदान नहीं हो पाता. इस स्थिति में उन्हें स्वास्थ्य संबंधी गंभीर जटिलताओं का खतरा रहता है और उन्हें सेहत पर अधिक पैसा खर्च करना पड़ता है. डब्ल्यूएचओ द्वारा जारी जानकारी में कहा गया कि एचआईवी और टीबी जैसे संक्रामक रोगों का विलंब से निदान होने से इन रोगों के फैलने का खतरा बढ़ जाता है और उनका उपचार कठिन हो जाता है.


विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO)
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) संयुक्त राष्ट्र की एक विशेष एजेंसी है जो अंतर्राष्ट्रीय सार्वजनिक स्वास्थ्य पर एक समन्वय प्राधिकारी के रूप में कार्य करती है.  इसका गठन 7 अप्रैल 1948  को किया गया था. इससे पूर्व मौजूद स्वास्थ्य संगठन के स्थान पर इसे लाया गया था जो लीग ऑफ नेशंस की एक एजेंसी थी.

 

Gorky Bakshi is a content writer with 9 years of experience in education in digital and print media. He is a post-graduate in Mass Communication
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