मालदीव बीते काफी दिनों से चर्चा में बना हुआ है और भारत के साथ मालदीव के सम्बन्ध को लेकर भी काफी उथल-पुथल चल रही है. दरअसल पीएम मोदी के हाल के लक्षद्वीप के दौरे को लेकर मालदीव के नेताओं द्वारा की गयी टिप्पणी के बाद से ही यह विषय प्रमुखता से छाया हुआ है.
इसी घटनाक्रम में हाल ही में मालदीव ने अपने देश में तैनात भारतीय सैनिकों को 15 मार्च तक वापस जाने का आदेश दिया है. मालदीव के इस फैसले से दोनों देशों के बीच के रिश्ते में आई खटास साफ झलक रही है. वहीं मालदीव के विदेश मंत्रालय ने बताया कि दोनों देश भारतीय सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया को लेकर तैयार हो गए है.
सैनिकों के वापसी का जिक्र नहीं:
वहीं भारतीय विदेश मंत्रालय ने बताया है कि भारतीय सेना की वापसी को लेकर अभी तक किसी डेडलाइन का ज़िक्र नहीं किया गया है. इसकों लेकर दोनों देशों के बीच माले में एक बैठक भी की गयी थी. दोनों देशों की उच्चस्तरीय बैठक के बाद एक बयान जारी किया गया था. सरकार द्वारा जारी हाल के आकड़ों के अनुसार मालदीव में इस समय 88 भारतीय सैनिक तैनात है.
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1988 से मौजूद है भारतीय सैनिक:
मालदीव में भारतीय सैनिक साल 1988 से मौजूद है. भारत के सैनिकों की पहली टुकड़ी की तैनाती मालदीव के तत्कालीन राष्ट्रपति अब्दुल गयूम द्वारा की गयी थी उस समय देश के हालात ठीक नहीं थे जिसको नियंत्रित करने के लिये भारतीय सैनिको को बुलाया गया था.
मालदीव में क्यों तैनात है भारतीय सैनिक:
मालदीव में भारतीय सैनिको की तैनाती विभिन्न प्रकार की सुरक्षा चुनौतियों से निपटने और मानवीय और मेडिकल सुविधाएं प्रदान करने के लिये की गयी है. वहीं दोनों देशों के बीच इन सुविधाओं को चलाये रखने के विकल्पों पर भी चर्चा की गयी है. जहां एक ओर मालदीव कह रहा है कि भारत तैयार हो गया है तो दूसरी तरफ़ भारत ने ऐसा कुछ भी नहीं कहा है.
India - Maldives
— India in Maldives (@HCIMaldives) December 31, 2023
A look back on the year gone by. pic.twitter.com/vrOdNKsk99
सैनिकों को हटाने में किसका नुकसान:
टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज़्ज़ू चाहे तो भारतीय सैनिकों को हटा सकते है लेकिन मालदीव राजनयिक स्तर पर नुकसान में रहेगा. भारत से दूरी बनाने से मालदीव अमेरिका और फ्रांस जैसे देशों से भी उसके सम्बन्ध बिगड़ सकते है. हालांकि इस फैसले से भारत को भी कुछ नुकसान होगा भारत मालदीव में अपने राडार स्टेशन को भी खो सकता है.
वहीं द हिंदू के हवाले से पूर्व भारतीय राजनयिक राकेश सूद ने कहा कि मुइज़्ज़ू इस स्थिति का फायदा उठाने की कोशिश में है. वहीं उन्होंने कहा कि जैसे को तैसा जवाब देने की स्थिति भारत के लिए अच्छी नहीं है.
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